एक आदमी अपनी पत्नी पर चिल्ला रहा था। बस, बहुत हो गया, अब मैं सहन करने वाला नहीं हूँ। तुमने समझ क्या रखा है अपने आप को। मैं अब तुम्हारी हर बात का सख्ती से जवाब दूंगा। मैं तो तुमको कमजोर समझ कर चुप था वरना अभी तक तो कभी का सीधा कर दिया होता। साहब काफी देर तक इसी प्रकार बोलते रहे, धमकाते रहे। फ़िर उनकी पत्नी की आवाज आई, अरे इतने बहादुर हो तो पहले डबल बेड के नीचे से तो निकालो वहां क्यों छिपे हो। पत्नी के हाथ में उसका हथियार था।
क्या हमको ऐसा नही लगता कि हमारी सरकार भी डबल बेड के नीचे से आतंकवादियों को धमका रही है। वे जब चाहें जहाँ कुछ भी कर देतें हैं और हमारे नेता सिवाए बयानों के कुछ नहीं करते।
---- चुटकी---
बिना आँख और
बिना कान
वाली सरकार,
तुझको हमारा
बार बार नमस्कार।
4 comments:
आतंकवाद से निपटने के लिए जो कदम उठाए जाते है ,आतंकवादी उससे एक कदम आगे होते है |
यह समय हिम्मत और साहस से आततायियों का मुकाबला करने का है ,चुटकी लेने का नहीं
नारदमुनीजी.... नारायण, नारायण।...आपकी चुटकी वाकई मसालेदार है।
अपने तरीके से आक्रोश और गुस्सा व्यक्त करना ही उचित है ! शहीदों को श्रद्धांजलि !
कौन मुकाबला करेगा। देश का नेतृत्व तो वोट भुनाने में लगा है।
कायरता से अंतक वाद का मकाबला नही होगा । आंतकवाद का मुकाबला करने के लिए दृढ इच्छा शक्ति की जरूरत है।
रामधारी सिंह दिनकर कहते हैं..
स्वत्व कोंई छीनता हो आेर तू , त्याग तप से काम ले यह पाप है,
पूण्य है विछिन्न कर देना उसे ,
बढ़ रहा तेरी तरफ जो हाथ है ।।
Post a Comment