मुझसे अच्छी है तुम्हारी
इन किताबों की किस्मत
जिन्हें तुम हर रोज़
अपने सीने से लगाती हो
मेरे बालों से कहीं अधिक
खुशनसीब है
तुम्हारी इन किताबों के पन्ने
जिन्हें तुम हर रोज़ बड़े
प्यार से सहलाती हो
मेरी रातों से भी हसीं हैं
तुम्हारी इन किताबों की रातें
जिन्हें तुम अपने पास सुलाती हो
इतनी खुशनसीबिया देखकर भी
तुम्हारी इन किताबों की
मेरी आँखे हर पल बार बार रोतीं हैं
क्योंकि हर साल तुम्हारे सीने से लगी
एक नई किताब होती है
वो पुरानी किताब पड़ी रहती है
एक तरफ़ आलमारी में 'गोविन्द" की तरह
इस उम्मीद के साथ कि
शायद एक फ़िर सीने से लगा लो
तुम इस पुरानी किताब को।
6 comments:
bahut khub
एक तरफ़ आलमारी में 'गोविन्द" की तरह
इस उम्मीद के साथ कि
शायद एक फ़िर सीने से लगा लो
तुम इस पुरानी किताब को।
" narayan narayan..... jaandar abhevyktee..."
Regards
aap sabkaa khayaal aur khabar rakhten hain yahi kyaa kam hai
aap sabkaa khayaal aur khabar rakhten hain yahi kyaa kam hai
ये क्या भया मुनिवर!! आप तो ऐसे न थे!!
नारायण नारायण...कलयुगी नारद मुनि!
नारयण नारयण नारद मुनि जी सुबह सुबह ही आज... राम राम, क्यो बचपन याद दिलवा रहे हो...अजी अब तो इस पुरानी किताब को बच्चे भी नही पढना चाहते.
धन्यवाद
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