ये ठीक है कि कुछ पाने के लिए
कुछ ना कुछ खोना पड़ता है,
लेकिन मैं इस बात से अंजान था कि
मैं कुछ पाने के लिए
इतना कुछ खोता चला जाउंगा
कि मेरे पास कुछ और
पाने के लिए
कुछ भी नहीं बचेगा,
और मैं और थोड़ा सा कुछ
पाने के लिए
अपना सब कुछ खोकर
उनके चेहरों को पढता हूँ ,
जो मेरे सामने
कुछ पाने की आस में आए ,
मैं उनको कुछ देने की बजाये
अपनी शर्मसार पलकों को झुका,
उनके सामने से एक ओर चला जाता हूँ
किसी ओर से कुछ पाने के लिए।
6 comments:
लेकिन मैं इस बात से अंजान था कि
मैं कुछ पाने के लिए
इतना कुछ खोता चला जाउंगा
कि मेरे पास कुछ और
पाने के लिए
कुछ भी नहीं बचेगा,
" very well said, its the real truth of the life.."
Regards
सही कहा है. इस पाने-खोने के चक्कर में आदमी आदमी नहीं रहता, न जाने क्या हो जाता है?
बहुत ही सुंदर
बहुत ही सही कहा, हम इस झुठे जगत को पाने की चाह मै अपना सब कुछ खो देते है, ओर जब आखरी सांस मै देखते है तो.... सब कुछ लूटा देखते है...
धन्यवाद, एक बहुत ही गहरी बात कह दी आप ने
aakhir hum chaand par pahuch hi gaye!....hum sab bhaaratiya, beshak bharat hi hai!
Well said sir.
मैं कुछ पाने के लिए
इतना कुछ खोता चला जाउंगा
कि मेरे पास कुछ और
पाने के लिए
कुछ भी नहीं बचेगा,
very close to reality
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