Wednesday, November 26, 2008

एक छोटी सी नाव

पानी का एक अनंत समंदर
उसमे उमड़ रहा भयंकर तूफान
आकाश से मिलने को आतुर
ऊपर ऊपर उठती लहरें
ऐसे मंजर को देख
बड़े बड़े जहाजों के कप्तान
हताश होकर एक बार तो
किनारे की आश छोड़ दें,
मगर एक छोटी सी नाव
इस भयंकर तूफान में
इधर उधर हिचकोले खाती हुई
किस्मत की लकीरों को मिटाती हुई
यह सोच रही है कि
कभी ना कभी तो
मुझे किनारा नसीब होगा
या बीच रस्ते में ही इस
समंदर की अथाह गहराइयों में
खो जाउंगी सदा के लिए।
नाव की कहानी मेरे जैसी है
वह समुंदरी तूफान में
किनारे की आस में है
चली जा रही हैं,
और मैं जिंदगी के तूफान में
जिंदगी की आस में
जिए जा रहा हूँ।

12 comments:

Anil Pusadkar said...

बडी सादगी से इतनी बडी सच्चाई कह दी आपने.

seema gupta said...

नाव की कहानी मेरे जैसी है
वह समुंदरी तूफान में
किनारे की आस में है
चली जा रही हैं,
और मैं जिंदगी के तूफान में
जिंदगी की आस में
जिए जा रहा हूँ।
" बहुत भावपूर्ण रचना , सच कहा जिन्दगी भी एक नाव की तरह ही है, रोज डूबने और उभरने के फेयर मे व्यस्त और चिंतित .."
Regards

धीरेन्द्र पाण्डेय said...

काफी खूबसूरती से लिखा है आपने दिल को छुने वाला है ....

makrand said...

वह समुंदरी तूफान में
किनारे की आस में है
चली जा रही हैं,
और मैं जिंदगी के तूफान में
जिंदगी की आस में
जिए जा रहा हूँ।
bahut sunder rachana

Unknown said...

pahli baar aapko pada to bas...yahi kahunga ki....Narayan ...narayan....aapka blog mere liye bahut pranadayak raha....krapya mere blog par padharte rahen...


Jai Ho Magalmay ho...

Abhishek Ojha said...

अरे ये नाव की कहानी तो मेरे जैसी है !

राज भाटिय़ा said...

बहुत खुब गहरे भाव लिये है आप की यह कविता, हम सब को आस नही छोडनी चाहिये आखरी दम तक, क्यो कि आस है तो सांस है.
धन्यवाद

Pawan Kumar said...

जहाज और नाव की मानसिकता में अन्तर बताते हुए जीवन दर्शन बड़े ही शानदार तरीके से आपने व्यक्त किया है .अनुभव वाकई बड़ी चीज़ है.
.............और मैं जिंदगी के तूफान में
जिंदगी की आस में
जिए जा रहा हूँ।
नारदमुनी क्या बात है नारायण नारायण .

सीमा सचदेव said...

नाव की कहानी मेरे जैसी है
वह समुंदरी तूफान में
किनारे की आस में है
चली जा रही हैं,
और मैं जिंदगी के तूफान में
जिंदगी की आस में
जिए जा रहा हूँ।
अति सुन्दर भाव | नाव की कनाही शायद हम सबके जैसी है |
सादर

सीमा सचदेव said...

नाव की कहानी मेरे जैसी है
वह समुंदरी तूफान में
किनारे की आस में है
चली जा रही हैं,
और मैं जिंदगी के तूफान में
जिंदगी की आस में
जिए जा रहा हूँ।
अति सुन्दर भाव | नाव की कनाही शायद हम सबके जैसी है |
सादर

सीमा सचदेव said...

नाव की कहानी मेरे जैसी है
वह समुंदरी तूफान में
किनारे की आस में है
चली जा रही हैं,
और मैं जिंदगी के तूफान में
जिंदगी की आस में
जिए जा रहा हूँ।
अति सुन्दर भाव | नाव की कनाही शायद हम सबके जैसी है |
सादर

सीमा सचदेव said...

नाव की कहानी मेरे जैसी है
वह समुंदरी तूफान में
किनारे की आस में है
चली जा रही हैं,
और मैं जिंदगी के तूफान में
जिंदगी की आस में
जिए जा रहा हूँ।
अति सुन्दर भाव | नाव की कनाही शायद हम सबके जैसी है |
सादर