Saturday, November 15, 2008
बीजेपी के पास है क्या ? आयातित नेता
श्रीगंगानगर में बीजेपी ऐसा दल है जिसके पास ना तो कोई अनुशासन है और न नेता। जिसके जो जी में है आता है कर लेता है। ऐसा ही हाल जयपुर दिल्ली बैठे इनके बड़े बड़े नेताओं का है। श्रीगंगानगर से लेकर जयपुर दिल्ली तक में कोई ऐसा नहीं जो यह कह सके कि उसने श्रीगंगानगर में बीजेपी को नेता दिया है। यहाँ जो भी नेता चुनाव लड़ने के लिए आया वह या तो बीजेपी का नहीं था या शहर का नही था। १९९३ में बीजेपी के दिग्गज नेता भैरों सिंह शेखावत ने विधानसभा का चुनाव लड़ा। सब जानते हैं कि वे श्रीगंगानगर के वोटर तक नहीं है। १९९८ में महेश पेडिवाल मैदान में थे। वे जनता दल से आए। ऐसा ही २००३ में हुआ, जब जनता दल से बीजेपी में आए सुरेन्द्र राठौर ने बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। ऐसा ही हाल अब २००८ में होता दिख रहा है। सारी उमर बीजेपी को कोसने वाले काग्रेस की टिकट पर ७ बार चुनाव लड़नेवाले राधेश्याम गंगानगर को मैदान में उतारने की तैयारी है। मतलब कि असली बीजेपी नेता या कार्यकर्त्ता नहीं। जनसंघ या आर आर एस वाला तो कोई आज तक आया ही नही। थोड़ा और आगे चलें, यहाँ जो चाहे बीजेपी कार्यकर्ताओं की बैठक बुला लेता है। कई दिन पहले नगर मंडल श्रीगंगानगर ने बीजेपी कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई। अब गजेन्द्र सिंह भाटी ऐसा कर रहें हैं। नगर मंडल के अध्यक्ष हनुमान गोयल का कहना है कि उन्होंने कोई बैठक नहीं बुलाई। है ना हैरानी की बात। वैसे गजेन्द्र सिंह भाटी बीजेपी महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष रितु गजेन्द्र भाटी के पति हैं। ख़ुद श्री भाटी के पास कोई पोस्ट नहीं है। उनका कहना है कि कोई भी कार्यकर्त्ता इस प्रकार की बैठक बुला सकता है। इसे कहते हैं अनुशासन।
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4 comments:
राजनीति है जी, किसीका कुछ नहीं कर सकते...
सब गोल माल है
गोविन्द जी ये राजनीती है इसमे सब चलता है कोई किसी पार्टी से आए जाए सबको चुनाव में सीट जितने की लगी होती है हथकंडा चाहे जो आजमाना पड़े |
Govindji baat aapki bilkul sahi hai kintu ye sanskruti kisne banai? Congress ne, ho sakta hai aapke shahar mein congress ka koi sthaniy neta ho, lekin kayi udaharan aise hain jahan congress ne bhi yahi kiya hai, isliye sirf BJP ko dosh dena theek nahi hai, is desh mein jitni galat raajneetik paramparayein hain wo sab congress ki upaj hain. Main indore se hoon aur kuchh saalo pahle yahan se rajya sabha ke liye ek ummeedwar the, koi musalmaan mahashay the jinka indore se koi lena dena nahi tha fir bhi unhein jabran yahan ka niwasi batay gaya baakayda kisi ek mohalle ka address likhaya gaya jo ki sab farji tha aur kai varsho se yaha ka baashinda bataya gaya jabki hakeekat iske theek ulat thee wo yaha chunav se pahle kabhi nahi aaye the, to jab jiski jaisi goti baith jaaye wo waisi chaal chal leta hai ismein koi khaas baat nahi, aapke sarokaar ko zaroor tavajjo milni chahiye ki ummeedwar Ganganagar ka sthaniy niwasi ho, jiska main bhi samarthan karta hoon.
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