Sunday, November 16, 2008

गिरगिट समाज के लिए संकट

श्रीगंगानगर की सड़कों पर बहुत ही अलग नजारा था। चारों तरफ़ जिधर देखो उधर गिरगिटों के झुंड के झुंड दिखाई दे रहे थे। गिरगिट के ये झुंड नारेलगा रहे थे " नेताओं को समझाओ, गिरगिट बचाओ", "गिरगिटों के दुश्मन नेता मुर्दाबाद", " रंग बदलने वाले नेता हाय हाय"," गिरगिट समाज का अपमान नही सहेगा हिंदुस्तान"। ये नजारा देख एक बार तो जो जहाँ था वही रुक गया। ट्रैफिक पुलिस को उनके कारन काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। गिरगिटों के ये सभी झुंड जा रहे थे राम लीला मैदान। वहां गिरगिट बचाओ मंच ने सभा का आयोजन किया था। रामलीला मैदान का नजारा, वह क्या कहने। लो जी सभा शुरू हो गई। जवान गिरगिट का नाम पुकारा गया। उसने कहा- यहाँ सभा करना कायरों का काम है। हमें तो उस नेता के घर के सामने प्रदर्शन करना चाहिए जिसने रंग बदल कर हमारी जात को गाली दी है। बस फ़िर क्या था सभा में सही है, सही है, के नारों के साथ जवान गिरगिट खड़े हो गए। एक बुजुर्ग गिरगिट ने उनको समझा कर शांत किया।
गिरगिट समाज के मुखिया ने कहा, इन नेताओं ने हमें बदनाम कर दिया। ये लोग इतनी जल्दी रंग बदलते हैं कि हम लोगों को शर्म आने लगती है। जब भी कोई नेता रंग बदलता है , ये कहा जाता है कि देखो गिरगिट कि तरह रंग बदल लिया। हम पूछतें हैं कि नेता के साथ हमारा नाम क्यों जोड़ा जाता है। नेता लोग तो इतनी जल्दी रंग बदलते हैं कि गिरगिट समाज अचरज में पड़ जाता है। मुखिया ने कहा, हम ये साफ कर देना चाहतें है कि नेता को रंग बदलना हमने नहीं सिखाया। उल्टा हमारे घर कि महिला अपने बच्चों को ये कहती है कि -मुर्ख देख फलां नेता ने गिरगिट ना होते हुए भी कितनी जल्दी रंग बदल लिया, और तूं गिरगिट होकर ऐसा नहीं कर सकता,लानत है तुझ पर ... इतना कहने के बाद तडाक और बच्चे के रोने की आवाज आती है।मुखिया ने कहा हमारे बच्चे हमें आँख दिखातें हैं कहतें हैं तुमको रंग बदलना आता कहाँ है जो हमको सिखाओगे, किसी नेता के फार्म हाउस या बगीचे में होते तो हम पता नहीं कहाँ के कहाँ पहुँच चुके होते। मुखिया ने कहा बस अब बहुत हो चुका, हमारी सहनशक्ति समाप्त होने को है। अगर ऐसे नेताओं को सबक नहीं सिखाया गया तो लोग "गिरगिट की तरह रंग बदलना" मुहावरे को भूल जायेंगे।
लम्बी बहस के बाद सभा में गिरगिटों ने प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव में सभी दलों के संचालकों से कहा गया कि अगर उन्होंने रंग बदलने वाले नेता को महत्व दिया तो गिरगिट समाज के पाँच जीव हर रोज उनके घर के सामने नारे बाजी करेंगे। मुन्ना गिरी से उनको समझायेंगे। इन पर असर नही हुआ तो सरकार से "गिरगिट की तरह रंग बदलना" मुहावरे को किताबों से हटाने के लिए आन्दोलन चलाया जाएगा। ताकि ये लिखवाया जा सके "नेता की तरह रंग बदलना"। सभा के बाद सभी गिरगिट जोश खरोश के साथ वापिस लौट गए।

3 comments:

राज भाटिय़ा said...

वो सुबह कभी तो आये गी......
आप का यह लेख पढ कर मुझे यग गीत याद आ गया, इन नेताओ का बहुत बुरा हाल होगा.यह सब अपनी ओकत भुल चुके है.सच है गिरगिट भी हेरान है इन से.
धन्यवाद

Gyan Darpan said...

सही है गिरगिट की जगह यही सही रहेगा "नेताओं की तरह रंग बदलना "

sandhyagupta said...

Sachci baat.