Thursday, November 13, 2008

नैनो का का सारा काजल

साजन जैसे हरजाई हैं
सावन के काले बादल
रो रो कर बिखर गया
नैनो का सारा काजल।
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यादों की तरह छा जातें हैं
मानसून के मेघ
काँटों जैसी लगती है
हाय फूलों की सेज।
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हिवडा मेरा झुलस रहा
ना जावे दिल से याद
सब कुछ मिटने वाला है
जो नहीं सुनी फरियाद।

1 comment:

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा रचना!!


पहले हम समझे टाटा नैनो की बात करोगे.