Sunday, November 2, 2008

काजल की कोठरी में भी झकाझक

हम बुद्धिजीवी हर वक्त यही शोर मचाते हैं हैं की हाय!हाय! राजनीति में साफ छवि और ईमानदार आदमी नही आते। लेकिन देखने लायक जो हैं उनकी क्या स्थिति इस राजनीति में है,उसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। श्रीगंगानगर जिले में है एक गाँव है २५ बी बी। वहां के गुरमीत सिंह कुन्नर पंच से लेकर लेकर विधायक तक रहे। लेकिन किसी के पास उनके खिलाफ कुछ कहने को नही है। कितने ही चुनाव लड़े मगर आज तक एक पैसे का भी चंदा उन्होंने नहीं लिया। किसी का काम करवाने के लिए उन्होंने अपने गाड़ी घोडे इस्तेमाल किए। राजस्थान में जब वे विधायक चुने गए तो उन्हें सबसे ईमानदार और साफ छवि के विधायक के रूप में जाना जाता था। कांग्रेस को समर्पित यह आदमी आज कांग्रेस की टिकट के लिए कांग्रेस के बड़े लीडर्स की चौखट पर हाजिरी लगाने को मजबूर है। जिस करनपुर विधानसभा से गुरमीत कुन्नर टिकट मांग रहा है वहां की हर दिवार पर लिखा हुआ है कि
गुरमीत सिंह कुन्नर जिताऊ और टिकाऊ नेता है किंतु यह कहानी कांग्रेस के लीडर्स को समझ नहीं आ रही। गत दिवस हजारों लोगों ने गुरमीत सिंह कुन्नर के यहाँ जाकर उनके प्रति समर्थन जताया, उनको अपना नेता और विधायक माना। ऐसी हालातों मेंकोई सोच सकता है कि ईमानदार और साफ छवि के लोग राजनीति में आयेंगें। पूरे इलाके में कोई भी एजेंसी सर्वे करे या करवाए, एक आदमी भी यह कहने वाला नहीं मिलेगा कि गुरमीत सिंह कुन्नर ने किसी को सताया है या अपनी पहुँच का नाजायज इस्तेमाल उसके खिलाफ किया। जब राजनीति का ये हाल है तो कोई क्या करेगा। यहाँ तो छल प्रपंच करने वालों का बोलबाला है। राजनीति को काजल की कोठरी कहना ग़लत नहीं है। जिसमे हर पल कालिख लगने की सम्भावना बनी रहती है। अगर ऐसे में कोई अपने आप को बेदाग रख जन जन के साथ है तो उसकी तारीफ की ही जानी चाहिए।
जागरूक ब्लोगर्स,इस पोस्ट को पढ़ने वाले बताएं कि आख़िर वह क्या करे? राजनीति से सन्यास लेकर घर बैठ जाए या फ़िर लडाई लड़े जनता के लिए जो उसको मानती है।

6 comments:

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

किसी भी हालत में एक बढिया व्यक्ति को राजनीति में बुरे व्यक्ति की अपेक्षा ज्यादा मजबूत बनना ही होगा....और बुरे व्यक्तियों मैदान छोड़ कर भागने पर मजबूर करना ही होगा वरना ग़लत लोग देश को खा जायेंगे.....अच्छाई द्वारा बुराई को जीतने का सपना ....सपना ही रह जायेगा......!!

दिनेशराय द्विवेदी said...

गोयल साहब, कुन्नर जी की कथा में पेच है। तेल कहाँ से आता है? दिखाई दे, न दे पर आता तिल से ही है।
फिर भी कुन्नर साहब शायद वर्तमान मशीन के पुर्जे नहीं है, और उन्हें स्क्रेप किया जा रहा हो।

Arvind Gaurav said...

युवा जोश !
चाहत! कुछ करने की

अनुपम अग्रवाल said...

यह फ़ैसला वहीं की जनता लेगी तो सब तरह से अच्छा रहेगा
क्योंकि ब्लोगर्स राय तो दे देंगे लेकिन मतदान के अधिकार उस क्षेत्र के निवासिओं के पास है

Udan Tashtari said...

सही है फैसला जनता को ही लेने दो..मुनिवर!!

Anonymous said...

Naradmuniji you have rightly narrated the story of virtues aperson can be,our great leader GURMEET SINGHJI KOONER,so far as i know him he is really down to earth person.I wish if every politician of india were like him it could have been different scenario of Indian politics.KOONERJI really deserves to be nominated by the congress party because he is a true leader of public.
Karni Brar,Canada