Monday, October 13, 2008

बंद द्वार तेरे मन के

----- चुटकी----
रोज जाए तू देवालय
वहां घंटे बजाये
मन मन के ,
ईश्वर तुझको
कैसे मिले
बंद द्वार तेरे मन के।
----गोविन्द गोयल

1 comment:

Unknown said...

सही बात है. ईश्वर तो मन के अन्दर है. मन के द्वार खोलो, अन्दर झांको और उसके दर्शन कर लो.