Sunday, October 19, 2008

उम्मीदवार लगता है

----- चुटकी-----

जब जब मिलता है
तब तब झुकता है,
किसी पार्टी का
उम्मीदवार लगता है।

---गोविन्द गोयल

4 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

सही\

Udan Tashtari said...

कभी कभी तो धरती पर षाष्टांग भी हो लेगा. :)

बहुत सही!!

Unknown said...

पर कितने दिनों तक मेरे वोटर भाई?
कुछ दिन बाद तुम उस से मिलने को तरसोगे.

अनुपम अग्रवाल said...

उम्मीदवारी में ही तो वो खिलता है
तभी झुकता है तभी वो मिलता है