Wednesday, October 15, 2008

राजनीति में काठ की हांडी

----- चुटकी-----

नीति को निकल
दिया,राज को
बना लिया बांदी,
राजनीति में ही
बार बार चढ़ती
काठ की हांडी।

---गोविन्द गोयल

2 comments:

Unknown said...

बार बार आग पर चढ़ती
पर फ़िर भी नहीं जलती
कैसी है यह काठ की हांडी?

रंजना said...

वाह..एकदम सत्य कहा. बहुत ही सही.