Saturday, September 13, 2008

मंत्री का सम्बन्धी

श्रीगंगानगर में प्रह्लाद टाक नामक एक अमीर कुछ दिन पहले तक राजनीति के आस पास भी नहीं था। कुछ सप्ताह पहले उसके लड़के की शादी राजस्थान के एक मंत्री की भतीजी से हो गई। बस, उसके बाद उसको लगा कि वह भी राजनीति में आ सकता है। या उसको कुछ लोगों ने अपना मोहरा बना लिया। आज वह अपने आप को अपनी जाति का लीडर मान कर श्रीगंगानगर से बीजेपी की टिकट का दावा कर रहा है। उसने बाकायदा २ बार प्रेस कांफ्रेंस की/करवाई। अब वह अपनी बिरादरी को अपने साथ करने में लगा है। हैरानी ये कि कई सालो से राजनीति में भागदौड कर रहे सीनियर लोग भी इसके पीछे हो गए। सच है भाई पैसे में बड़ी ताकत होती है। फ़िर प्रह्लाद टाक के पास तो मंत्री भी है बिल्कुल निजी, ऐसे में कौन साथ न लगेगा। टिकट मांगना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन श्रीगंगानगर में तो पता नहीं क्या हो गया कि जिसके पास धन हो या आ जाता है वह राजनीति में घुसपैठ करके अपने आप को भावी विधायक समझने लगता है। बीजेपी और कांग्रेस में आजकल यही हो रहा है। नए नए पैसे वाले ग़लतफ़हमी का शिकार हैं। इनके बारे में किसी ने टिप्पणी की कि छाज तो बोले ही बोले अब तो छलनियाँ भी बोलने लगी है।

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