Thursday, April 16, 2009
सांई बाबा का चमत्कार, रोटी
श्रीगंगानगर में आजकल सांई बाबा के रोटी वाले "चमत्कार" की गली गली चर्चा है। यह सब कुछ लोगों की आंखों के सामने होता है। गुरुवार के दिन होता है यह सब। चमत्कार है आधी "रोटी" का डेढ़ हो जाना। गुरुवार की शाम को किसी बरतन में वह आधी रोटी रख दी जाती है जो डेढ़ बनी रोटी का हिस्सा हो। "रोटी" के साथ थोड़ी थोड़ी चीनी और चाय पत्ती जरा से पानी के साथ डाल दी जाती है। एक सप्ताह तक सुबह शाम उस बर्तन की पूजा अर्चना की जाती है सांई बाबा के नाम से। फ़िर गुरुवार को वह बरतन खोला जाता है जिसमे आधी रोटी रखीगई थी। बरतन में उस आधी रोटी के साथ एक वैसी ही रोटी और होती है। अगर रोटी आधी से डेढ़ हो गई तो समझो सांई बाबा ने आपकी मन्नत पूरी कर दी। सात दिन तक उस बरतन को खोलना नहीं है। अब जो डेढ़ रोटी है, उसको या तो आधी आधी करके तीन व्यक्तियों को बाँट दो। अगर कोई ना लेना चाहे तो पानी में प्रवाहित कर दो। जो आधी रोटी लेगा उसे सात दिन तक उसकी पूजा करनी होगी। यह सिलसिला इसी प्रकार चलता रहता है। श्रीगंगानगर के कई इलाकों में इन दिनों सांई बाबा के इस "चमत्कार" की धूम मची है। बड़ी संख्या में लोग अपनी मन्नत पूरी करवाने के लिए इस "रोटी" की शरण में जा रहें हैं। जैसे जैसे शरण में आने वालों की संख्या बाद रही है वैसे वैसे "चमत्कार" टॉक ऑफ़ द टाऊन होता जा रहा है।
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7 comments:
ऐसे चमत्कार कई शहरो मे पहले भी देखे जा चुके है।
भाईसाहब बहुत पहले जब मैं बच्चा था तब इस तरह का चमत्कार झांसी शहर में जोर पर था लेकिन जब बड़ा हुआ तो पढ़ लिख लेने पर समझ आयी कि जो कथित "रोटी" थी वह वस्तुतः रोटी न हो कर एक जीव है जिसमें कि मुकुलन(budding) के द्वारा प्रजनन होता है जैसे कि हाइड्रा वगैरह में होता है। हमारे धर्मभीरू भोले भाई बहनों को कुछ कुटिल लोग श्रद्धा की आड़ में मूर्ख बनाते चलते हैं इस मामले की भी आप एक पत्रकार होने की हैसियत से जांच कराइये कलेक्टर के द्वारा, सारी कहानी समझ आ जाएगी। भाईसाहब अगर सांईबाबा ऐसे ही रोटी बढ़ा देते हैं तो फिर देश में क्या दुनिया में कोई भूख से तो कम से कम हरगिज न मरेगा। बाबा के प्रति मेरी भी श्रद्धा है लेकिन श्रद्धा का ये रूप नाकाबिले बर्दाश्त है। मेहरबानी करके अवश्य मेरी प्रार्थना पर ध्यान दें।
सादर
डा.रूपेश श्रीवास्तव
रूपेश जी अच्छी व्याख्या की है। हिन्दुस्तान की जनता कीनसीब में तो ठगना हीलिखा है। कभी उसे नेता ठगते हैं और कभी ये कथाकथित बाबा।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
यह आटे की रोटी नही है। रोटी का रूप दिया गया है किसी तत्व को। सारा खेल रासायनिक क्रिया का है। जनता के सामने जांच करवा कर लोगों को अंधविश्वास से बचाएं।
रुपेश जी ने सब रहस्य खोल ही दिया है....अगर पूजा अर्चना न भी करें तो भी ये होगा ही...!हाँ यदि कोई घर में खाने के काम आने वाली रोटी को डबल करे तो मुझे इंतजार रहेगा...क्यूंकि इसे तो कोई खा भी नहीं रहा फिर फायदा क्या...
मुनि वर आप भ्रमित न हों इछा तो कभी भी पूरी नही होती हाँ जरूरत सभी की पूरी होती हे ,यह रोटी तो भूखे की भूख भी नही मिटा सकती ,पाखंडी लोगों की एक जमात अपनी संख्या दिखने को भांति भांति के आडम्बर रच कर भगत साईं राम को बेच रहे हें हमे तो बस अपने मित्र भाइयों को लुटेरो के जल से मुक्त रहने की ही सलाह देनी चाहिए
गोविन्द जी आपने अपने हाथ से रोटी बना कर रखी या नहीं... अगर आपके हाथ की बनी आटे की रोटी डेढ़ हो जाए तभी इसे चमत्कार कहिए...वर्ना तो हाथ की सफ़ाई...आँख में धूल मानिए ।
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