Friday, December 12, 2008

मौन! सबसे बड़ा झूठ


मौन ! अर्थात
सबसे बड़ा झूठ
भला आज
मौन सम्भव है?
बाहर से मौन
अन्दर बात करेगा
अपने आप से
याद करेगा उन्हें
जिन्होंने उसे किसी भी
प्रकार से लाभ पहुँचाया
या मदद की,
कोसेगा उन जनों को
जिनके कारण उसको
उठानी पड़ी परेशानियाँ
झेलनी पड़ी मुसीबत,
मौन है , मगर
अपनी सफलताओं की
सोच मुस्कुराएगा
जब अन्दर ही अन्दर
कुछ ना कुछ
होता रहा हर पल
तो मौन कहाँ रहा?
मौन तो तब होता है
जब निष्प्राण हों
तब सब मुखर होते हैं
और वह होता है
एकदम मौन
जिसके बारे में
सब के सब
कुछ ना कुछ
बोल रहे होते हैं
यही तो मौन है
जब सब
जिसके बारे में बोले
वह कुछ ना बोले
पड़ा रहे निश्चिंत
अपने में मगन

5 comments:

विवेक said...

जब सब जिसके बारे में बोलें..वह कुछ ना बोल...क्या बात है...अच्छा है

seema gupta said...

तो मौन कहाँ रहा?
"dundhna pdega"

regards

P.N. Subramanian said...

कवि ब्रह्म है- असंभव कुछ भी नहीं. सुंदर. आभार.

Birds Watching Group said...

मौन तो तब होता है
जब निष्प्राण हों
तब सब मुखर होते हैं
और वह होता है
एकदम मौन
जिसके बारे में
सब के सब
कुछ ना कुछ
बोल रहे होते हैं
यही तो मौन है
behad saralta se sundar panktiyon men abhivyakti
dhanywaad

राज भाटिय़ा said...

बहुत खुब.
धन्यवाद