Tuesday, December 9, 2008

आपका कर्जदार हूँ--कुन्नर


आदर और मान के हकदार मेरे इलाके के नागरिकों आपने अपने इरादों से ना केवल लोकतंत्र का मतलब सार्थक किया है बल्कि यह संदेश भी घर घर पहुँचाया है कि लोकतंत्र में लोक ही सबसे शक्तिशाली और सर्वोपरि होता है। मैंने आप के बीच में पंच से विधायक तक का चुनाव लड़ा। मगर ये चुनाव इनमे सबसे अलग था। क्योंकि यह चुनाव जनता ने जनता के लिए लड़ा। आप सब जानते हैं कि मैं तो अपने कदम पीछे हटा चुका था लेकिन वह आपका संकल्प और पक्का इरादा ही था जो ताकत बनकर मेरे साथ आ खड़ा हुआ। आप सब मेरे सारथी बने और मुझे चुनाव मैदान में उतर दिया। मगर मैं एकला नहीं था आप सब थे मेरे साथ कदम कदम पर। लोकतंत्र का क्या अदभुत नजारा था जब जनता अपने आप के लिए घर घर वोट मांग रही थी। जीत आप सब की हुई,लोकतंत्र जीता, आपकी भावना को विजयी मिली मगर कर्जदार हुआ गुरमीत सिंह कुन्नर ,आपके प्यार और स्नेह का। चुनाव तो मैं इस से भी पहले जीता हूँ मगर असल जीत अब हुई जब जन जन मेरे लिए गुरमीत सिंह कुन्नर बनकर मैदान में आया। आप विश्वास रखें आपकी भावना को सम्मान मिलेगा,आपके इरादे और संकल्पों को मिलकर पुरा करेंगें। जिस लोकतंत्र के नाम को आपने सार्थक किया है मैं उसको कलंकित नहीं होने दूंगा। मन,कर्म और वचन से आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं जिस हाल में जैसे भी हूँ हमेशा आपका था आपका रहूँगा। मेरा हर कदम आम जन की भलाई और इलाके के विकास के लिए उठे ऐसा आशीर्वाद मैं आपसे चाहता हूँ।

---आपका - गुरमीत सिंह कुन्नर

4 comments:

P.N. Subramanian said...

क्षमा करेंगे, यह लेख आप का तो नहीं है. अब जीत गये हैं तो हमारा भी ख़याल रखें. आभार.

seema gupta said...

"जीत मुबारक"

विधुल्लता said...

man se mubaarakbaad

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

आपने कुन्नरजी के बारे में चुनाव के पहले जानकारी दी थी। तबसे सैंकड़ों मील दूर होने के बावजूद उनके लिए जिज्ञासा बनी हुई थी।
जीत पर आपको भी बधाई।