अकेला तो मेला,मेला तो अकेला
अकेला तो मेलामेला तो अकेलावो शख्स हैबड़ा अलबेला।---ना कोई गुरुना कोई चेलाहर कोई जेब मेंहाथ नहीं धेलामगर वो हैबहुत अलबेला। ---भीड़ में मौन एकांत में वार्ताअपनी जिंदगीओरों पर वार्तापता नहीं उसनेक्या क्या है झेला। वो शख्स हैबहुत अलबेला। ----ऊपर पत्थरअन्दर मोमउसकी कहानीसुनेगा कौनपता नही क्या हैजां को झमेला वो शख्स हैबड़ा अलबेला।
5 comments:
bahut sundar rachana . narayan narayan hari om tashyat.
bhid me moun, ekant me varta
gazab ki line likhi hai apne meri badhai sweekar karein.
मस्त मलंग ऐसे ही होते हैं
आप ने सही कहा जो मस्त है वो अकेला भी मेला ही महसुस करता है, ओर जो चिंतित है उसे तो मेला भी हो लोगो की भीद भी तो तो भी अकेला, बाकी शर्मा जी की बात से भी सहमत हुं.
धन्यवाद
kya baat hai ! bahut badhiya
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