Wednesday, December 10, 2008

तुम क्या हो!


मैं नहीं जानता
तुम क्या हो, और
क्या बनना चाहते हो
लेकिन तुम्हारा होने के नाते
तुमसे इतना तो कहूँगा
कि तुम जो हो वही रहो
वो बनने की कोशिश
ना करो जो
तुम नहीं हो
कही ऐसा ना हो
कि भविष्य का
कोई आता जाता झोंका
तुम्हारे वर्तमान
अस्तित्व को मिटा दे
और उसके बाद
तू अपने अतीत
को याद करके
अपनी करनी पर
पछताते रहो।

8 comments:

Pawan Kumar said...

नारद जी क्या बात है.....मज़ा आ गया

विधुल्लता said...

yhi to sab jagah ho rahaa hai sundar bhaav ke liye badhai

seema gupta said...

और उसके बाद
तू अपने अतीत
को याद करके
अपनी करनी पर
पछताते रहो।

" narayan narayan...."

Unknown said...

hmmm.....gaharai hai accha laga

दिगम्बर नासवा said...

तुम जो हो वही रहो
वो बनने की कोशिश
ना करो जो
तुम नहीं हो

सत्य वचन, सुंदर भावनाओं की अभिव्यक्ति

मनोज द्विवेदी said...

chacha kya likhate hai aap. mujhe mere pita ki batein yaad aa gayi
apko namaskar

Unknown said...

क्या बात है!बहुत सुंदर धन्यवाद!लेकिन ये क्या मुनि जी आजकल तो दर्शन देना ही बंद कर दिए!http://pinturaut.blogspot.com/'http://janmaanas.blogspot.com/

राज भाटिय़ा said...

बहुत खुब आप ने एक सच कह दिया.
धन्यवाद