श्रीगंगानगर-दिल्ली
की घटना से घिनोनी कोई घटना नहीं हो सकती। यही वजह रही है कि देश भर में इसके
खिलाफ आक्रोश,गुस्सा दिखा। यह
आक्रोश और गुस्सा सोच में बदलाव लाने को आतुर था। कानून बदलने की बात करते सुना
गया। पुरुषों से अपनी मानसिकता बदलने को कहा गया। उनको रात नो बजे के बाद घर
में रखने की सलाह भी नारी समर्थकों ने दी। महिलाओं को और अधिक बराबरी पर लाने की बात हुई। और
भी बहुत कुछ....अब बात निकली है तो दूर तक जाएगी ही। सच में अब बदलाव होगा! यह बदलाव घर घर में देखने को भी मिलेगा। तो क्या आइंदा किसी भी परिवार की लड़की रात को अपने बॉय
फ्रेंड के साथ कहीं भी जा सकेगी! उसे हक होगा। तभी तो वह लड़कों की बराबरी कर
सकेगी। क्या वेलेंटाइन डे पर अपने पुरुष मित्र के साथ पार्क में घूमने की आजादी भी
उसको होगी।किसी भी होटल में कुछ भी करने की छूट भी । कोई बजरंग दल...वल को दखल देने की इजाजत
नहीं। क्योंकि यह महिलाओं की आजादी से जुड़ा है। अब हर परिवार को और अधिक खुले
विचारों का होना है। बॉय फ्रेंड बेटी,बहिन को घर बुलाने आए तो भेजना ही पड़ेगा। ये सब लिखने और सुनने में बढ़िया
लगता है। फेसबुक पर कमेन्ट कर हम आनंदित होते हैं। यह हमें खुले विचारों का होने
का तमगा भी देता है। दक़ियानूसी विचारधारा का ठप्पा हटाता है। लेकिन इस सवाल का
जवाब किसके पास है कि कितने परिवार इस बात को बर्दाश्त करेंगे कि उसकी बेटी,बहिन अपने बॉय फ्रेंड के साथ हो। चाहे लड़की के
परिवार को अपनी लड़की पर कितना ही विश्वास हो। लड़का चाहे कितना भी चरित्रवान हो।
दोनों के चरित्र की चाहे समाज कसमें खाता हो। अपने बच्चों को उनके उदाहरण देता हो।
इसके बावजूद माता-पिता,भाई ये
पसंद नहीं कर सकते कि उसकी बेटी बहिन अपने
बॉय फ्रेंड के साथ हो। किसी सिनेमा में। कैफे में, होटल में। या रात को सड़क पर। इसकी वजह भी है और
मजबूरी भी। ये दोनों सबको पता भी हैं। कौनसे ऐसे माता-पिता होंगे जो ये नहीं चाहते
कि उनकी बेटी खूब आगे बढ़े....उनका नाम रोशन करे..... । सब के सब यही सोचकर
लड़कियों को पढ़ाते हैं। दूसरे शहरों में भेजते हैं। इसके बावजूद कोई ये नहीं सुन
सकता कि उसकी बेटी,बहिन उस समय, उसके साथ, उस स्थान पर थी। संभव है महानगरों में चाहे ऐसी बात
से किसी को कोई फर्क ना पड़ता हो। लेकिन अन्य स्थानों पर तो इसे किसी भी दृष्टि से
ठीक नहीं समझा जाता। अगर कोई ज़ोर शोर से यह कहता है कि हमारे यहां बेटी,बहिन का बॉय फ्रेंड के साथ कभी भी,कहीं भी जाने आने पर कोई प्रतिबंध नहीं है तो
उनको सलाम। सॉरी! लेकिन सच्चाई यही है।
1 comment:
सच में !
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