श्रीगंगानगर-राजनीति में जातिवाद ठीक नहीं है।
लेकिन वर्तमान राजनीति की कोई भी चर्चा जाति के बिना होती ही नहीं। यह भी सच है
कि हर नेता अपने भाषण में हर जात,बिरादरी की लल्ला लोरी करता है किन्तु यह भी किसी
से छिपा नहीं कि उसकी निगाह सबसे अधिक अपनी जाति के लोगों पर अधिक रहती है। बात
राधेश्याम गंगानगर की हो तो यह सब सामान्य लगता है। ऐसा ही हुआ है इस बार भी,बीजेपी
के विधायक राधेश्याम गंगानगर से। उन्होने अपने जन्म दिन पर
शहर के हर क्षेत्र में बधाई के बड़े बड़े होर्डिंग,बोर्ड और बैनर लगवाए या
उनके समर्थकों ने लगाए। इन सभी पर जितने भी बधाई देने वालों के नाम
हैं उनमें सबसे अधिक अरोड़ा बिरादरी के हैं। उसके बाद दूसरी बिरादरी के खास व्यक्तियों
के। किन्तु हैरत की बात ये कि राधेश्याम गंगानगर के इस शो
में अग्रवाल समाज की सक्रियता पढ़ने को नहीं मिली। अग्रवाल
समाज के लोगों के नाम तो
चंद होर्डिंग पर हैं। जिनमें से दो चार धानमंडी में लगे हैं। एक दो अन्य
स्थानों पर। सुरेन्द्र सिंह राठौड़ के खास,उनके मित्र, पारिवारिक सदस्य
के के लड्ढा के तीन चार होर्डिंग लगे हैं।अग्रवाल समाज के ही नहीं दूसरे समाज के
लोगों,राजनीति
को समझने वाले कई व्यक्तियों ने इस
रिपोर्टर से यह
सवाल किया कि राधेश्याम गंगानगर ने अग्रवाल समाज की उपेक्षा की या अग्रवाल
समाज के लोगों ने अपने नाम लिखवाने से इंकार कर दिया। अब इन दोनों में से
कौनसी बात सच है इसका पता लगाना बहुत ही मुश्किल है। क्योंकि राधेश्याम
गंगानगर किसी भी हालत में ये कहने वाले नहीं कि उन्होने अग्रवाल समाज
की उपेक्षा की है। उधर,वर्तमान
राजनीतिक
हालात में केवल नाम लिखवाने के लिए कोई व्यक्ति राधेश्याम को
नाराज करेगा ये भी कठिन है। जहां भी इन होर्डिंग की बात होती है वहां आपसी चर्चा
में लोग अग्रवाल
समाज के लोगों के नाम न होने की वजह भी तलाश करने की कोशिश होती है। किन्तु
किसी को यह समझ नहीं आ रहा कि यह क्यूं कर हुआ। यह सोची समझी राजनीतिक रणनीति है
या अंजाने में कोई भूल हो गई। सब जानते हैं कि राजनीति में राधेश्याम गंगानगर इस
प्रकार की भूल करने वाले है नहीं। इस बात से भी कोई अंजान
नहीं कि राधेश्याम गंगानगर का राजनीति में कोई भी कदम बेवजह होता ही नहीं। संभव है
जल्दी इसके पीछे छिपी वजह सामने ना आए। परंतु कभी न अकभी तो कोई बोलेगा ही कि
पर्दे के पीछे क्या हुआ था।
No comments:
Post a Comment