जिस लीला मदेरणा ने मीडिया को कोसा,लोगों को कैमरे तोड़ने के लिए उकसाया। मीडिया कर्मियों पर हमे करवाए। वही मीडिया उनके बुलावे पर उनके घर गया। इससे अधिक बेबसी क्या होगी...जो कोसती है उसी की बात सुनने जाना पड़ा....पता नहीं यह बेबसी है.....मजबूरी है...या कर्म... स्वाभिमान तो इसमें कहीं दिखता ही नहीं।हमारे साथ ये सब ....हमारी खुद की कमजोरी है ...या हम हैं ही इसी के काबिल। विचार करने की बात हैं।
No comments:
Post a Comment