Monday, December 19, 2011
पुलिस विभाग में बड़ा फेरबदल जनवरी में संभावित
श्रीगंगानगर-जयपुर सचिवालय से लेकर राजनीतिक गलियारों की चर्चा अगर सही है तो बचे हुए दो साल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुल कर खेलने के मूड में हैं। इसकी पहली झलक जनवरी में पुलिस विभाग की तबादला सूची में दिखाई देगी। इस सूची में एक, दो,पांच,सात नहीं बल्कि बहुत अधिक आईपीएस,आरपीएस के नाम होंगे। खास सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शायद ही कोई ऐसा संभाग होगा जिसके पुलिस अधिकारी इस तबादले से प्रभावित होने से अपने आप को बचा पाएं। जिनके यहाँ से कोई परिणाम नहीं आ रहे ऐसे अनेक जिलों के एसपी को बदला जाना है। जो आम जन की बात ना समझने वाले कई आई जी इधर उधर होंगे। उसके बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक,उप अधीक्षक बदले जाएंगे। जिले भर के थानों में भी इन तबादलों का असर दिखाई देगा। हर जिले से कई इंस्पेक्टर,सब इंस्पेक्टर,एएसआई जाएंगे,नए आएंगे। कोई थाने में लगाने की डिजायर लेकर एसपी के पास आएगा तो कोई सीधे ऊपर से आदेश करवा थाना संभालेगा। “पूरे घर को बदल डालूँगा” के स्लोगन को ध्यान में रख वे पुलिस अधिकारी जिनकी पुलिस मुख्यालय में घुसपैठ है, अपनी दाल ठीक से गलाने की तैयारी कर चुके हैं। जिनकी दाल नहीं गल रही वे मंत्रियों की शरण में हैं। पुलिस मुख्यालय में इस प्रस्तावित तबादला सूची को लेकर बहुत अधिक हलचल है। इससे अधिक हलचल है कांस्टेबल से लेकर आईपीएस तक में। अधिकारी फील्ड में जाने को मरे जा रहें हैं वहीं नए नए कांस्टेबल बने युवक थानों की बजाए पुलिस लाइन में रहना चाहते हैं। इसके लिए वे बाकायदा उसी डिजायर सिस्टम को अपना रहें हैं। इस इच्छा की अर्जी सीधे पुलिस अधिकारी को भी भेजी जा रही है।अगर केवल गंगानगर की बात करें तो नए कांस्टेबल या तो पुलिस लाइन में रहना चाहता है या फिर जवाहरनगर और पुरानी आबादी थाना में। शांति नहीं वहां कमाई है। सूत्रों ने बताया कि जनवरी के पहले सप्ताह में तबादलों पर लगा प्रतिबंध सरकार हटा सकती है। हालांकि अधिकारियों की एक लॉबी परीक्षाओं के बाद तबादला सूची जारी करने के लिए कसरत कर रही है। किन्तु यह कसरत सफल होती नहीं नजर आती। ज्ञात रहे कि तीन साल तक गृह मंत्रालय शांति धारीवाल के पास था। अब यह विभाग खुद मुख्यमंत्री के पास हैं। ओम प्रकाश “नदीम” कहते हैं-मेरे बच्चे पूछते हैं,तुमने हमको क्या दिया,इतनी शोहरत है जो मेरे नाम की किस काम की। एक एसएमएस राजेश अरोड़ा का—सबसे बड़ा रोग,क्या कहेंगे लोग?
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