तुम क्या हो,कौन हो
मैं नहीं जानतातुम क्या हो और क्या बनना चाहते हो,लेकिन तुम से इतना अवश्य कहूँगातुम जो हो वही रहो वो बनने की कोशिश मत करोजो तुम नहीं हो,कहीं ऐसा ना हो कि भविष्य का कोई झोंका तुम्हारे वर्तमान अस्तित्व कि मिटा दे,और बाद में तुम अपने अतीत को याद करके अपनी करनी पर पछताते रहो।
7 comments:
कहीं ऐसा ना हो कि
भविष्य का कोई झोंका
तुम्हारे वर्तमान अस्तित्व
कि मिटा दे,और
बाद में तुम
अपने अतीत को
याद करके अपनी
करनी पर पछताते रहो।
वाह!क्या अभिव्यक्ति है?
सुन्दर अभिव्यक्ति ...
बात गाँठ बाँधने वाली है ।च्छी रचना धन्यवाद्
सुन्दर....
सुन्दर अभिव्यक्ति...
दिखावा करने में खुद का अस्तित्व मिट जाता है...बढ़िया बात
हिन्दूओ समझ लो इन पंक्तियों को अच्छी तरह से बरना कहीं ऐसा ना हो कि
भविष्य का कोई झोंका
तुम्हारे वर्तमान अस्तित्व
कि मिटा दे,और
बाद में तुम
अपने अतीत को
याद करके अपनी
करनी पर पछताते रहो।
sunil ji se sahmat...
kunwar ji,
Post a Comment