Saturday, October 17, 2009

तालिबान का क्या कसूर

आज बस दिवाली की शुभकामना ही देना और लेना चाहता था। मगर क्या करूँ,पड़ौस में रहता हूँ इसलिए पड़ौसी पाकिस्तान याद आ गया। पाकिस्तान याद आया तो तालिबान को भी याद करना मज़बूरी थी। जब दोनों साथ हो तो न्यूज़ चैनल्स वाले आधे घंटे की स्पेशल रिपोर्ट दिखाते हैं। हमारी इतनी समझ कहाँ! हम केवल चुटकी बजायेंगे।
---- चुटकी----

बेचारे तालिबान का
इसमे क्या कसूर,
जिसने जो बोया
वह,वही काटेगा
यही तो है
प्रकृति का दस्तूर।

6 comments:

विनोद कुमार पांडेय said...

बढ़िया...दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!

Randhir Singh Suman said...

दीपावली, गोवर्धन-पूजा और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!

परमजीत सिहँ बाली said...

सही लिखा।

शुभ दीपावली।

दीपक कुमार भानरे said...

दीपावली पर्व की कोटि कोटि बधाईयाँ और सुभ कामनाएं ।

मनोज कुमार said...

बेबाकी तथा साफगोई का बयान

Subhash Ujjwal said...

kya bat hain ......bahut pasand aayi ye chutki.....