श्रीगंगानगर-इन शब्दों के साथ जो चित्र है वह
बनावटी नहीं असली है। असली मतलब छाज ,चक्की,छलनी,चादर,चने,दाल इस महिला के आस पास चित्र खींचने के लिए नहीं सजाए गए। सब नच्युरल है।
यह महिला सामान्य रूप से काम कर रही थी और फोटो ले ली गई। यह महिला है बलविंदर
कौर। कौन बलविंदर कौर?स्वाभाविक प्रश्न है। गुरमीत सिंह
कुन्नर [वर्तमान में राजस्थान के कृषि विपणन मंत्री] की पत्नी बलविंदर कौर।छोटे से
कद की इस महिला को बाजार में थैला हाथ में लिए कुछ ख़रीदारी करते देखो तो अचरज करने
की बात नहीं। क्योंकि बलविंदर कौर सम्पूर्ण गृहणी हैं। दूसरी महिलाओं की तरह। पति दशकों
से राजनीति में हैं लेकिन इनको राजनीति से कोई लेना देना नहीं। आज तक किसी
राजनीतिक कार्यक्रम में इनको नहीं देखा गया। आम ग्रामीण महिलाओं की तरह तड़के उठना।
रसोई,दूध,दहीलस्सी का काम। जयपुर हो या
गाँव में, मंदिर,गुरद्वारे जाना बिना
नागा। शनिवार को सुबह कटोरी में सरसों का
तेल लेकर वहां आना, जहां गुरमीत सिंह कुन्नर बैठे होते,उनको तेल में चेहरा देखने को कहना....और फिर शनि मंदिर जाना। कितनी ही बार
देखा है मैंने। 18 फरवरी 1972 को इनकी शादी गुरमीत सिंह कुन्नर से हुई। उसके बाद गुरमीत सिंह कुन्नर के घर में धन,दौलत,मान सम्मान की कोई कमी नहीं रही। हर वक्त हल्की
मुस्कान चेहरे पर। राजनीति की बात करो तो यही कहतीं हैं....ये अपना काम कर रहें
हैं मैं अपना। इनको राजनीति से फुरसत नहीं और मुझे घर से। राजनीति से कोई
शिकायत.....नहीं, क्योंकि जन जन की सेवा करने का मौका किसी
किसी को ही मिलता है,उनका जवाब था। वे कहतीं है,बहुत खुश हूं जिंदगी से। भगवान ने सब कुछ दिया है....और क्या चाहिए। रोटी-सब्जी
खुद बनाती हैं। काम से फुरसत मिल जाए तो
कपड़ों की सिलाई भी हो जाती है। सरसों का साग और कढ़ी बनाने में कोई जवाब नहीं। बलविंदर
कौर को राजनीति में कोई रुचि नहीं। पति राजनीति में हैं तो एतराज नहीं। दोनों अपने
अपने फील्ड में जमे हैं। राजनीति में आने की कोई संभावना नहीं है इनकी। एक खास
बात....। मंत्री की पत्नी होने का कोई गरुर कभी चेहरे पर नहीं। हमेशा हर समय वही
चेहरे पर हल्की सी मुस्कान। एक बार कुन्नर दंपती की शादी की वर्ष गांठ थी। बलविंदर
कौर जयपुर से गाँव आ गईं...। 17-18 फरवरी की रात को बलविंदर कौर ने पति गुरमीत
सिंह कुन्नर को एसएमएस कर दिया बधाई का। गुरमीत सिंह कुन्नर 18 फरवरी की सुबह
जयपुर से रवाना होकर गाँव पहुँच गए। परिवार में अपनी शादी की वर्ष गांठ मनाने के
लिए।
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