अनोखा है ढाई अक्षर का
इश्क
रब को यार बना देता है इश्क।
बेटी का भाल चूमता है
इश्क
प्रिय की बाहों में झूमता
है इश्क।
मामूली नहीं विशाल है
इश्क
चाहो तो पग पग पर खड़ा है इश्क।
माँ को गले लगाता है
इश्क
बहिन के संग मुस्कराता
है इश्क।
ताकत है भाई से भाई का
इश्क
भरोसा है सुदामा का कृष्ण
से इश्क।
संस्कार है माँ का बेटी
से इश्क
समर्पण है मियां और बीबी
का इश्क।
आदर है शिष्य का गुरु
से इश्क
संरक्षण है पिता का बच्चों
से इश्क।
लैला-मंजनू,हीर-राँझा का ही
इश्क नहीं होता है इश्क,
तेरा मुझसे,इससे,उससे , कीट से
पतंग से,जीव से निर्जीव से
किसी से भी हो सकता है
इश्क।
जीवन का मधुर चाव है
इश्क
गीत है ,संगीत है और भाव है इश्क।
नजर नहीं आता ये अहसास है इश्क
वो दिल दिल नहीं जिसमें नहीं है इश्क।
4 comments:
इश्क इश्क है बेहतरीन....आभार.
बेहतरीन प्रस्तुति
latest post कोल्हू के बैल
सच इश्क के मायने अलग-अलग होते हैं...
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ..
aap sabhee ka aabhar aane ke liye
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