Govind Goyal, journalist
आम हो या ख़ास, आपकी बात, आपके पास
Saturday, March 5, 2011
अपना लगने लगा शैतान
अन्दर से डर जाता हूँ
देख भला इन्सान ,
अपना सा लगने लगा
जो बैरी था शैतान।
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यही सोच कर सबके सब
होते हैं परेशान,
भ्रष्टाचार का कोई किस्सा
अब करता नहीं हैरान।
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गली गली में बिक रहा
राजा का ईमान ,
सारी उम्मीदें टूट गईं
अब क्या करें भगवान।
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