Govind Goyal, journalist
आम हो या ख़ास, आपकी बात, आपके पास
Monday, March 14, 2011
फाल्गुन कैसे गुजरेगा
दरवाजे
पर
खड़ी
खड़ी
सजनी
करे
विचार
,
फाल्गुन
कैसे
गुजरेगा
जो
नई
भरतार
।
हार
श्रृंगार
छूट
गए
रही
ना
कोई
उमंग
,
दिल
पर
लगती
चोट
है
बंद
करो
ये
चंग
।
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