जैसे खो गया सब कुछ उनका
सूनी आँखें बता रही हैंजैसे खो गया अपना कुछ उनकामगर जब ढूंढा उन्होंने तब एक निशान तक ना पायाकुछ कहने को ओंठ खुले ही थेउनका छोटा सा दिल भर आयाउनको गए हो गई एक मुद्दतउनका एक ख़त भी ना आयाऔर कितना इंतजार करवाओगेतुम्हारे इंतजार में दिन रात का चैन गंवायाचाँद सूरज आतें हैंआकर चले जाते हैंतुम्हारी यादों का झोका आके जाने ना पाया।
8 comments:
एकदम मस्त
बढ़िया
बहुत बढ़िया
तुम्हारी यादों का झोका
आके जाने ना पाया।
""यादों के झोंके कभी जाने को नही आते, सिर्फ़ सताने को आते हैं.."
regards
बहुत खुब .जी मथुरा के पेडे ओर आगरा का पेठा कहां गया, हमारे हिस्से का ??
धन्यवाद
सुंदर रचना. एक पुराना गीत याद आ गया. बोल थे, "इंतज़ार और अभी, और अभी, और अभी"
koi tuk he kya upar aur niche ki lain me. kya badiya kya mast hai pata nahi bina pade hi tipiyate rahate hai sab
are saheb aapka naam to likhate taki aapse sikh lete,chahe tuk bandi hee sahi. narayan narayan
kuch khash nahi.bo better.
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