Tuesday, January 6, 2009

जैसे खो गया सब कुछ उनका


सूनी आँखें बता रही हैं
जैसे खो गया अपना कुछ उनका
मगर जब ढूंढा उन्होंने
तब एक निशान तक ना पाया
कुछ कहने को ओंठ खुले ही थे
उनका छोटा सा दिल भर आया
उनको गए हो गई एक मुद्दत
उनका एक ख़त भी ना आया
और कितना इंतजार करवाओगे
तुम्हारे इंतजार में
दिन रात का चैन गंवाया
चाँद सूरज आतें हैं
आकर चले जाते हैं
तुम्हारी यादों का झोका
आके जाने ना पाया।

8 comments:

नीरज मुसाफ़िर said...

एकदम मस्त
बढ़िया

Unknown said...

बहुत बढ़िया

seema gupta said...

तुम्हारी यादों का झोका
आके जाने ना पाया।
""यादों के झोंके कभी जाने को नही आते, सिर्फ़ सताने को आते हैं.."
regards

राज भाटिय़ा said...

बहुत खुब .जी मथुरा के पेडे ओर आगरा का पेठा कहां गया, हमारे हिस्से का ??
धन्यवाद

Anonymous said...

सुंदर रचना. एक पुराना गीत याद आ गया. बोल थे, "इंतज़ार और अभी, और अभी, और अभी"

Anonymous said...

koi tuk he kya upar aur niche ki lain me. kya badiya kya mast hai pata nahi bina pade hi tipiyate rahate hai sab

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

are saheb aapka naam to likhate taki aapse sikh lete,chahe tuk bandi hee sahi. narayan narayan

AJAY AMITABH SUMAN said...

kuch khash nahi.bo better.