Thursday, January 1, 2009
मैं कौन हूँ,क्या हूँ?
आज से एक और
नया साल शुरू हो गया,
लोग अपनों से मिलकर
खुशियों का इजहार करेंगें,
नए साल की मंगल
भावना के साथ
एक दुसरे के गले मिलेंगें,
मगर मैं अकेला
वर्तमान के बंद
कमरे में बैठा
आने वाले सुनहरे
भविष्य को भुलाकर
अपने भूतकाल के
बारे में सोच रहा हूँ,
जिसने मुझे हर पल हर क्षण
एक नए अनुभव से
परिचित करवाया था,
मगर अफ़सोस वह
आज तक मुझसे
मेरा परिचय नही करवा सका,
यही वजह है कि
मैं हर नए साल को
अपने आप से
दूर होता चला गया
आज स्थिति ये है कि
मैं ख़ुद नहीं जानता
मैं कौन हूँ, क्या हूँ।
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2 comments:
बहुत सुंदर रचना...अपने आप को भी हम जीवन भर कहाँ जान पाते हैं...
नव वर्ष की शुभकामनाएं
नीरज
यदि जान लेते तो ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति होती. सुंदर रचना. आभार.
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