श्रीगंगानगर-आपके संस्थान में
चाहे वह स्कूल,दुकान,हॉस्पिटल,ऑफिस,होटल,घर कुछ भी
हो,कोई
हादसा हो जाए तब आपको कई लाख रुपए देने ही पड़ेंगे। आपका कसूर है या नहीं
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। कह दिया सो कह दिया....आपको अंटी तो ढीली करनी है, यही है
हमारे नेताओं के न्याय का मॉडर्न तरीका। नहीं तो भीड़ आपके दरवाजे
पर होगी। वह कुछ भी करने में सक्षम है। वह
आपके संस्थान की चिंदी चिंदी कर सकती है, साथ में
आपकी इज्जत की भी । इसलिए जो नेता कहें मान लो। ऐसा ही करवाया कांग्रेस नेता राज
कुमार गौड़,पूर्व
सभापति महेश पेड़ीवाल,ट्रेडर्स
एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक कांडा,कृषि उपज मंडी समिति के उपाध्यक्ष राजेश पोखरना,कच्चा
आढ़तिया संघ के अध्यक्ष पुरुषोत्तम गोयल,सारस्वत कुंडिया समाज के अध्यक्ष बजरंग औझा सहित कई
नेताओं ने। स्कूल में बच्चों की मारपीट हुई। एक बच्चा घायल हुआ। मारपीट करने वाले
भी पकड़े गए। कसूर! पूरा का पूरा कसूर स्कूल संचालकों,टीचर्स
और स्टाफ का। इसके लिए देना होगा “आर्थिक सहयोग”।{इलाज का पूरा खर्चा तो अलग है ही।}वरना
तो....। श्री गौड़ और श्री पेड़ीवाल
कांग्रेस और बीजेपी की टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, बहुत
लंबा राजनीतिक जीवन है इनका। एक नागरिक को इनसे कोई सवाल करने का हक नहीं है। फिर डरते
डरते गुस्ताखी कर ही लेता हूं । सवाल
ये कि आखिर उन्होने स्कूल पर पांच लाख रुपए का दंड
किस बात का लगाया ? अगर
स्कूल कसूरवार है तो क्या पांच लाख रुपए में उसका कसूर माफी लायक हो गया? कसूर
है तो स्कूल को “फांसी” पर
लटकाओ। पांच लाख रुपए में उसे माफ करने वाले ये नेता
कौन होते हैं। दूसरा सवाल जिन बच्चों पर मारपीट का आरोप है उनके परिजनों पर क्या “दंड” लगाया
इन नेताओं की “पंचायत” ने। उनको
कानून सजा देगा! जो कानून उनको सजा देगा वह स्कूल को भी दो दे सकता है। उनको तो इन
नेताओं ने अपनी इस “पंचायत’ में
बुलाया तक नहीं। न्याय की क्या शानदार मिसाल पेश की है इन हमारे
नेताओं ने!शुक्र करो ये नेता विधानसभा नहीं पहुंचे वरना तो “न्याय” की
परिभाषा ही बदल जाती। क्षेत्र में शिक्षण संस्थाओं की कोई कमी नहीं है। बच्चों में
छोटे मोटे विवाद भी स्वाभाविक बात है। ऐसे विवादों को निपटाने ये नेता पहुँच गए तो
उसी को “न्याय”
मिलेगा जिसकी जेब में दाम होंगे। कितनी हैरानी की बात है कि जनता इन नेताओं को
अपना शुभचिंतक,हितचिंतक,न्यायप्रिय,संवेदनशील,शुभचिंतक
समझती है। सलाम ऐसा न्यायप्रिय नेताओं को और भीड़ को जिनके दम पर ये कैसा भी न्याय
करने की शक्ति प्राप्त करते हैं।शान
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