श्रीगंगानगर-इस क्षेत्र के कांग्रेस जनों ने अपने नेता
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दुविधा में डाल दिया। यही कारण है कि वे लगातार श्रीगंगानगर
आने से बच रहे हैं। दुविधा है सरकारी मेडिकल कॉलेज। कांग्रेस नेताओं ने ये कह कह कर
कि सरकारी मेडिकल कॉलेज मिल गया....सीएम ने मंजूरी दे दी....बजट में घोषणा भी कर दी....जनता
को इस तरह पका दिया कि मुख्यमंत्री को आते ही इस बारे में बोलना पड़ेगा। संभव है कांग्रेस
नेता कॉलेज का वैसे ही शिलान्यास भी करवा दें जैसा तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे
ने शुगर मिल का किया था। परंतु कांग्रेस नेता जानते हैं कि अशोक गहलोत तभी कुछ कहेंगे जब
वह हो सकने लायक हो। बस, यही दुविधा है उनके सामने। सरकारी मेडिकल
कॉलेज कोई चुटकी में बनने वाला नहीं है। ईंट,गारे,चूना,बाजारी,मार्बल से बनी ईमारत ही मेडिकल कॉलेज नहीं होती। कॉलेज कॉलेज होता
है। सरकार नहीं जो जब चाहे बदल जाए....जमाने तक चलतीं हैं ऐसी संस्थाएं। जो सदियों
तक चलना है उसका निर्माण,संचालन उसकी व्यवस्था भी तो उसी के अनुरूप
होती है। किसी सेठ का सहयोग लें तो उसकी बल्ले बल्ले....कांग्रेस नेताओं के हाथ पल्ले
कुछ नहीं पड़ेगा। सरकार के लिए तो सरकारी हॉस्पिटल ही मुश्किल हो गए चलाने ऐसे में एक
बड़ा हाथी बांधना.....सरकार के मुखिया को बहुत कुछ सोचना है। कहीं करो तो भले के लिए
और हो जाए बंटा धार, वह भी चुनाव जैसे साल में। अब प्रदेश का,सरकार का मुखिया आएगा तो उसके पास अपने स्नेही जनों को देने के लिए कुछ तो
हो। स्नेही सरकारी जन मेडिकल कॉलेज मांग रहे हैं।ताकि वे उसके सहारे अपने आप को चुनाव
में जिता सकें। वो आसान नहीं...तो कैसे आएं....आएं तो ऐसे आएं कि सरकारी मेडिकल कॉलेज
दे भी दें और कुछ करना भी ना पड़े। बस इसके लिए तो शिलान्यास ही लास्ट हथियार है....कर
दो...आने वाली सरकार अपने आप देखेगी.....। या फिर तुरंत सरेंडर करो उस सेठ के सामने
जो हर सभा में कोसता है कांग्रेस और उसके नेताओं
को।अब जब तक यह सब नहीं हो जाता
अशोक गहलोत कैसे श्रीगंगानगर आ सकते हैं। आ गए,मेडिकल कॉलेज के बारे में कुछ नहीं बोला
तो कांग्रेस नेता कहीं के नहीं रहेंगे। इसलिए जब तक टलता है दौरा टालते रहो। उसके बाद
आचार संहिता लग ही जाएगी।
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