Wednesday, June 17, 2009

एक टेंशन तो समाप्त हुई

सुबह सुबह एक क्रिकेट प्रेमी मित्र मिल गए। मिलते ही बोले,चलो एक टेंशन तो मिटी। सोचा, रात को मिले तो ठीक थे। अचानक ऐसा रात को क्या हुआ और जो ठीक भी हो गया। मैंने पूछा,कौनसी टेंशन? वह बोला, भारत की क्रिकेट टीम टी-२० से बाहर हो गई। करोडों देशवासियों को चिंता रहती,क्या होगा? जीतेंगें, हारेंगें! अब ये चिंता तो समाप्त हुई। इतना कह कर वे चले गए। लेकिन मैं सोच रहा था कि उनकी एक ही टेंशन समाप्त हुई है। इसका मतलब उनको और भी टेंशन है। सचमुच और बहुत सी टेंशन हैं घर घर में। जैसे बालिका वधु में सुगना का क्या होगा? माँ सा का व्यवहार बदलेगा या नहीं? महलों वाली रानी कुंदन के घर चली गई! हाय अब क्या होगा?रानी उसको सुधार कर कब घर आयेगी?वैसे एक सड़क दुर्घटना के कारण ऐसा होता है यह पहली बार देखा।घर घर में इस बात की टेंशन भी है कि क्या ज्योति की जिंदगी में खुशियाँ फ़िर से आएँगी?क्या होगा जब अक्षरा और ऋतुराज आमने सामने होंगें? हमको ये टेंशन नहीं कि बुजुर्ग मम्मी-पापा को डॉक्टर के पास लेकर जाना है। उनके लिए आँख की दावा या चश्मा लाना है।
हमारे मुहं में रोटी का निवाला होता है,आँख टीवी पर,एक हाथ रिमोट पर,दिमाग बाजार के किसी काम या दफ्तर में और कान वो सुन रहे होते हैं जो बीबी,मां या बच्चे कुछ बोल रहे हैं। फ़िर हम कहते हैं कि आजकल भोजन में स्वाद नहीं आता। स्वाद , स्वाद तो जब आएगा जब तुम भोजन करोगे। रिमोट हाथ में लेकर बार बार चैनल बदल रहें हैं। पता नहीं आपके अन्दर का आदमी कौनसा चैनल देखना चाहता है। जीरो से लेकर सौ तक देखा,फ़िर जीरो पर आ गए। उसके बाद वही एक,दो,तीन लगातार सौ तक। इसका कारण है कि हमारा दिमाग टीवी में नहीं कहीं ओर है।
कल एक जैन मुनि श्री प्रशांत कुमार से मिलने का अवसर मिला। उन्होंने एक पुस्तक"सफलता का सूत्र" दी। इस किताब में एक जगह लिखा है-शिक्षित सा दिखने वाला एक युवक दौड़ता हुआ आया और टैक्सी ड्राईवर से बोला-"चलो,जरा जल्दी मुझे ले चलो। " हाथ का बैग उसने टैक्सी में रखा और बैठ गया। ड्राईवर ने टैक्सी स्टार्ट कर पूछा ,साहब कहाँ जाना है?युवक बोला,सवाल कहाँ -वहां का नहीं है,सवाल जल्दी पहुँचने का है। बस हम जल्दी पहुंचना चाहते हैं, लेकिन लक्ष्य तय नहीं किया।

9 comments:

Udan Tashtari said...

टिप्पणी करके जल्दी निकलें..पता नहीं मगर जाना है.

समयचक्र said...

नारायण नारायण ये तो होना ही था . आ अ अ

Anil Pusadkar said...

अभी एक टेंशन बाकी है पाकिस्तान भी बाहर हो जाये फ़िर कोई जीते कोई हारे क्या फ़र्क पड़ता है।

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

टेन्शन खत्म नही अब शुरु हुयी है

Murari Pareek said...

हूम्म्म!!! आपको भी तो कितनी सारी टेंशन हैं, अपने अलावा, हमारी की हम नाराद्लोक भ्रमण करने आएंगे और कुछ नया नहीं मिलेगा तो कोसते हुए जाएंगे, ये मुनिराज भी पता नहीं कहाँ बीजी रहते हें!! हा...हा... हा...

दिनेशराय द्विवेदी said...

नारायण नारायण, बहुत सुखद खबर है। टीवी जल्दी बंद होगा तो जल्दी सो सकेंगे। अरे! पर सेमीफाइनल और फाइनल तो देखने होंगे। दो दिन और जागना पड़ेगा ही। टेंशन बरकरार है।

समयचक्र said...

द्विवेदी जी
आप कहते है नारायण नारायण जी का टेंशन सेमी फाइनल और फाइनल तक बरकारार रहेगा . नारायण नारायण

समयचक्र said...
This comment has been removed by the author.
समयचक्र said...

द्विवेदी जी
आप सही कह रहे है नारायण नारायण जी का टेंशन सेमी फाइनल और फाइनल तक बरकारार रहेगा . नारायण नारायण