किसी पेड़ की,किसी भी साख से
पत्ता भी गिरता,तो,हो जाती थी ख़बर,
अब तो तूफान भी, पास से
निकल जाए, तब भी, पड़ती नहीं नजर।
-----
ना जाने किस किस की ख़बर
रहती थी, जेब में हमारे,
अब तो, ख़ुद के बारे में भी
ख़ुद को, कुछ पता नहीं होता।
-----
ये समय का फेर है कोई
या फ़िर, भाग्य का कोई खेल,
जो मिलते थे बाहें पसार कर
होता नहीं कभी, अब, उनसे कोई मेल।
4 comments:
ना जाने किस किस की ख़बर
रहती थी, जेब में हमारे,
bahut khoobsurati se jeb par nazar dali hai.
bahut khoob
सुन्दर अभिव्यक्ति व रचना ।
लोगो को खबर करना होगा कि नारदमुनि की नजर जेब पर है राम राम....
सही कह रहे महाराज..अब हालात वो न रहे!!
samay bada balwaan re....
Post a Comment