Sunday, June 21, 2009

तूफान पर भी नहीं पड़ती नजर

किसी पेड़ की,किसी भी साख से
पत्ता भी गिरता,तो,हो जाती थी ख़बर,
अब तो तूफान भी, पास से
निकल जाए, तब भी, पड़ती नहीं नजर।
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ना जाने किस किस की ख़बर
रहती थी, जेब में हमारे,
अब तो, ख़ुद के बारे में भी
ख़ुद को, कुछ पता नहीं होता।
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ये समय का फेर है कोई
या फ़िर, भाग्य का कोई खेल,
जो मिलते थे बाहें पसार कर
होता नहीं कभी, अब, उनसे कोई मेल।

4 comments:

Anonymous said...

ना जाने किस किस की ख़बर
रहती थी, जेब में हमारे,
bahut khoobsurati se jeb par nazar dali hai.
bahut khoob

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

सुन्दर अभिव्यक्ति व रचना ।

लोगो को खबर करना होगा कि नारदमुनि की नजर जेब पर है राम राम....

Udan Tashtari said...

सही कह रहे महाराज..अब हालात वो न रहे!!

दर्पण साह said...

samay bada balwaan re....