Tuesday, February 10, 2009

फाल्गुन में सावन की सी रिमझिम

प्रकृति और दिल पर किसी का कोई बस नहीं है। ये दोनों कब क्या कर बैठें कोई नहीं जानता। श्रीगंगानगर में आज ऐसा ही हुआ। सुबह का नजारा प्रकृति का सौन्दर्य अपने अन्दर समेटे हुए था। आसमान में यहाँ से वहां तक काली घनघोर घटायें इस सौन्दर्य में चार चाँद लगाती दिखीं। हलकी बूंदा बांदी शहर को धीरे धीरे भिगोने में लगी हुई थी। आज फाल्गुन मास का पहला दिन था। लेकिन प्रकृति सावन का दृश्य दिखाने को लालायित थी। रात को यह पोस्ट लिखने तक मौसम ऐसा ही बना हुआ था। ठण्ड जो लगभग विदा ले चुकी थी फ़िर से द्वार पर आ खड़ी हुई। भोर से अब तक शहर प्रकृति के इस अनुपम उपहार से भीगता रहा।सूरज ने बादलों की ओट में ही पूर्व से पश्चिम तक का अपना सफर तय किया। आज सूरज की नहीं चली। दिन में भी सांझ का अहसास होता रहा। टाइम ने बताया कि यह शाम का वक्त है। वैसे श्रीगंगानगर की सर्दी और गर्मी दोनों गजब की होती है। सर्दी में न्यूनतम तापमान शून्य के आसपास और गर्मी में अधिकतम तापमान ५० डिग्री सेल्सियस के निकट रहता है। आज लोगों ने प्रकृति का आनंद भी लिया और परेशान होने वाले इस बरसात से परेशान भी हुए। मगर प्रकृति को इस से क्या!

3 comments:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

hamare yahan bhi aaj bunda bandi ho rahi hai

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

hamare yahan bhi aaj bunda bandi ho rahi hai

sanjay vyas said...

इसका असर यहाँ जोधपुर तक भी महसूस हो रहा है.