Tuesday, September 29, 2015

अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ी कमला बिश्नोई को



श्रीगंगानगर। नगर परिषद आयुक्त के साथ हुए विवाद मेँ पार्षद कमला बिश्नोई आखिर अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ी। हालांकि उनके साथ पूर्व विधायक हेत राम बेनीवाल, व्यापारिक संगठनों के पदाधियाकरी और कांग्रेस नेता थे। लेकिन बड़े साहब के सामने अपनी पैरवी खुद करनी पड़ी। ऐसा नहीं कि बाकी नेता बोले नहीं, बोले। मगर कमला बिश्नोई का अंदाज अलग था। क्योंकि वे अपनी लड़ाई लड़ रहीं थीं। कलक्ट्रेट सभाकक्ष के गेट पर बड़े साहब के सामने इनका प्रतिनिधि मण्डल था। बड़े साहब बोले, न्याय करेंगे। कमला बिश्नोई ने पूछा, कब। आप समय बताओ। रोज रोज नहीं होता। शहर मेँ अच्छा मेसेज नहीं जा रहा। कोई ....गंदा बता रहा, कोई उसे। कमला बिश्नोई ने कहा, आपको शर्म आनी चाहिए, आपकी बहिन संघर्ष कर रही होती तो क्या होता? आप समय बताओ। आप मुझे जेल मेँ डाल रहे हो। कई देर तक अपनी बात कहती रहीं कमला बिश्नोई। फिर कभी जगदीश जांदू को आगे किया कभी तरसेम गुप्ता को। कुछ मिनाट  के बाद बड़े साहब ने बोल दिया कि वे आज कमला बिश्नोई को बुलाकर बात करेंगे। उसके बाद वे चले गए। कमला बिश्नोई ने अपनी समर्थक महिलाओं के साथ हनुमान चालीसा बोलना शुरू कर दिया। पहले तो वहीं बैठ कर बोलने लगीं, फिर किसी ने कह दिया कि अब घर जाओ, तो वे जाती हुई हनुमान चालीसा बोलती रहीं। इससे पहले पंचायती धर्मशाला मेँ बैठक हुई। बैठक के बाद कलक्ट्रेट के अंदर प्रदर्शन किया गया। बड़े साहब बात चीत के लिए अंदर बुला रहे थे। लेकिन प्रदर्शन कारी उनको बाहर आने को कह रहे थे। बड़े साहब ने लंच पर जाना था। इसलिए वे बाहर आए। तब ये बात हुई। 

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