श्रीगंगानगर-अपने प्रदेश अध्यक्ष चंद्रभान के सामने
कांग्रेस के पृथ्वीपाल सिंह संधु और उनके साथियों ने श्रीकरनपुर से निर्दलीय
विधायक और सरकार में मंत्री गुरमीत सिंह कुन्नर की जो शिकायत की वह उनकी तारीफ बन
गई। उनकी कमी उनकी उपलब्धि हो गई। क्योंकि कभी कभी राजनीतिक व्यक्ति आपने विरोधी
की शिकायत करते समय ये नहीं सोचते कि इसका अर्थ क्या है और उसका राजनीतिक नफा
नुकसान किसका होगा। पृथ्वीपाल सिंह श्रीकरनपुर से अपने आप को कांग्रेस की टिकट का
सबसे मजबूत दावेदार मान रहें हैं। उनका दावा वर्तमान स्थिति में है भी। क्योंकि जगतार
सिंह कंग की गत चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जमानत जब्त हो गई थी।
वैसे भी वो लगातार दो बार चुनाव हार चुके
हैं। गुरमीत सिंह कुन्नर कांग्रेस में है नहीं। तो संधु ही बचे। पृथ्वीपाल सिंह
संधु और उनके समर्थकों ने गुरमीत सिंह कुन्नर की शिकायत बीकानेर में प्रदेश
अध्यक्ष को की।राजनीतिक शिकायत। हाय! उनकी
वजह से कांग्रेस का आधार समाप्त हो रहा है।कांग्रेस की हालत खराब हो रही
है। कुन्नर कांग्रेस के लिए घातक है। कांग्रेस को वार्ड के चुनाव में एक ही वोट
मिला......वो कांग्रेस को पूछते नहीं...आदि आदि। कुन्नर कांग्रेस को क्यों पूछे? कांग्रेस के इतने अधिक लीडर हैं।कांग्रेस का संगठन है। टिकट के दावेदार
हैं। हारा हुआ उम्मीदवार है। नया दावेदार है। कांग्रेस की ज़िम्मेदारी तो इनकी हुई
ना। वे करें कुन्नर का मुक़ाबला। कांग्रेस को मजबूत बनाएं। अपना आधार दिखाएं। सत्तारूढ़
पार्टी के लीडर हैं सब के सब सरकार से योजनाएं लाकर जनता को दें। कुन्नर की ना
चलने दें सरकार में। हटवा दें उनको मंत्री पद से। सरकार के पास तो पूर्ण बहुमत है।
अब जो शिकायत इन सबने की उससे तो प्रदेश अध्यक्ष यही सोचेंगे कि श्रीकरनपुर में
कुन्नर का कोई विकल्प नहीं है। कुन्नर अकेला कांग्रेस और वहां के कांग्रेस नेताओं
पर भारी है।क्योंकि कांग्रेस नेता उनके मुक़ाबले खड़े नहीं हो सके। तभी वे कुन्नर को
कांग्रेस के लिए घातक बता रहे हैं। विरोधी तो घातक होते ही हैं। अब राजकुमार गौड़
ये कहे कि राधेश्याम गंगानगर उनके और कांग्रेस के लिए घातक हैं तो लोग हसेंगे।
संतोष सहारण प्रदेश अध्यक्ष को ये बताए कि गुरजंट सिंह बराड़ से कांग्रेस को नुकसान
हो रहा है तो इसका क्या मतलब? संतोष सहारण कमजोर है बराड़ के
मुक़ाबले। अब जब खुद कोई नेता अपने विरोधी को पार्टी के लिए नुकसान दायक,धातक बताता है तो इसके मायने साफ है कि वह खुद उसकी तुलना में राजनीतिक
रूप से कमजोर है। अब पता नहीं टिकट के गंभीर दावेदार पृथ्वीपाल सिंह संधु किसी की
बातों में आ गए या खुद की सोच थी जो चुनाव के समय अपनी कमजोरी साबित की। एक बार
नहीं कई बार ऐसा होता है जब किसी बात के राजनीतिक मायने वो नहीं होते जो किसी को
सामने नजर आते हैं।
1 comment:
बहुत ही सामयिक और सार्थक आलेख,आभार.
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