Tuesday, March 12, 2013

इसे कहते हैं पुलिस....


श्रीगंगानगर-मुर्दों के इस शहर में जिंदा पुलिस वालों को देख आनंदित हो गया। ऐसी भावना..बार बार सलाम करने को मन करे। इतनी ऊंची सोच...अपनाने का जी करे। क्या सोचता था और क्या निकले ये पुलिस वाले....इतने आदरणीय...वंदनीय...पूजनीय। हे पुलिस, हमारी पहाड़ जितनी गलती को क्षमा करना। इसमें कोई शक नहीं कि यह क्षमा योग्य नहीं है। परंतु यहां की पुलिस तो वीर है और  वीरों का आभूषण क्षमा शीलता ही है। त्याग ही वीरों का प्रतीक है। ठोकर मार दी फिल्ड  पोस्टिंग को....नहीं करते ऐसी ज़लालत वाली फिल्ड में काम। लिख कर दे दिया एसपी को....हटाओ हमें।  चले गए पुलिस लाइन जहां कोई पुलिस वाला नहीं जाना चाहता। ऐसी त्यागी....आत्मसम्मान से लबालब....हिम्मती....पुलिस पहली बार दिखाई दी। धन्य हो गया महाराजा गंगासिंह जी का बसाया हुआ यह शहर जहां ऐसी पुलिस है। पुलकित हो गई वह सड़कें जिनको पुलिस वालों की चरण रजमिली। अभी तक तो यही देखा और सुना था कि लगभग हर पुलिस कर्मी/अधिकारी [ अपवाद हर जगह होते हैं ] अपनी फिल्ड  पोस्टिंग करवाने के लिए सत्तारूढ पार्टी के नेताओं के द्वार पर जाते है। बड़े बड़े अधिकारियों के यहां हाजिरी भी बजाते है। पता नहीं क्या क्या करते है। वर्दी पहनते ही पहली इच्छा फील्ड में लगने की होती है। इस इच्छा की पूर्ति के लिए कर प्रकार के समझौते करते है। जो फिल्ड  में होते हैं वे पूजनीय,आदरणीय बने रहते हैं। जो लाइन में लगते हैं वे कहीं के नहीं रहते। परंतु देखो, इस शहर की पुलिस ने क्या उदाहरण पेश किया है जमाने के सामने। इसे कहते हैं सच्ची,ईमानदार पुलिस। एसपी तो हैं ही इस पुलिस के। वे जरूर पुलिस की इस अनुकरणीय भावना को समझ इनको फिल्ड  पोस्टिंग से हटा ही देंगे।  एसपी अपने प्रेम और लगाव के चलते इस पुलिस को फिल्ड  ना त्यागने दें ... तो सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं को यह काम करवाना चाहिए। ताकि जन जन पुलिस के इस त्याग से प्रेरणा ले सकें। यह नगर कह सके कि यहां कभी ऐसी पुलिस भी आई जिसने फिल्ड  पोस्टिंग को ठोकर मार दी। इतना ही नहीं सरकार को भी फील्ड पोस्टिंग त्यागने वालों के नाम अपने पास रखने चाहिए जिससे  इस पुलिस का त्याग व्यर्थ ना जाए। उनकी जगह दूसरों का लगाया जाए ताकि फील्ड में रहकर उनको भी जनता की सेवा का मौका मिल सके। उनमें भी त्याग की भावना पैदा हो। जय हिन्द।