सास,सासरे की आस
सास,सासरे कीआस। आज, सबसे पहला फोन इसी आस के सदा के लिए टूट जाने का मिला। हालाँकि उनकी बीमारी को देखते हुए इस दुखद फोन कॉल ने तो आना ही था। इस से भी दुखद और कष्ट दायक था , इस फोन की जानकारी पत्नी को देना। जानकारी देनी ही थी। तुंरत दी भी। पत्नी की मां भी वैसी ही होती है जैसी ख़ुद की। जाना तो सभी ने है। इन्सान चाहे समय की पाबन्दी ना समझे। भगवान के यहाँ तो एक एक पल क्या एक एक साँस का हिसाब है। नारायण नारायण।
11 comments:
सचमुच में बहुत ही प्रभावशाली लेखन है... वाह…!!! वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है। आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी और हमें अच्छी -अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगे, बधाई स्वीकारें।
आप के द्वारा दी गई प्रतिक्रियाएं मेरा मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन करती हैं।
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…Ravi Srivastava
दुखद समाचार है. संवेदनाएं व्यक्त करता हूँ.
दुखद अमाचार मेरी नमन श्रधाँजली आभार्
संवेदनाएं, नारायण नारायण.
Narayan narayan apki rachna hriday vidarak hai.Abhar
किसी भी आत्मीय का बिछड़ना सदैव कष्ट कारक तो होता ही है। लेकिन जिस ने जन्म लिया है उस ने जाना ही है। इसे तो स्वीकारने के अलावा कोई चारा नहीं है। आप को और भाभी को इस दुःख से उबरने के लिए बहुत संवेदनाएँ।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ...हमारी संवेदनाएं !!
एक न एक दिन जाना तो सभी को है किन्तु माँ के चले जाने की छति अपूर्णीय है. किसी कवि की एक पंक्ति याद आती है कि 'शेष नहीं खोने को अब कुछ, माँ के खो जाने के बाद'. मेरी संवेदनाये.
मौत से किसकी यारी है ?
आज मेरी तो कल तेरी बारी है |
दिवंगत आत्मा की शांति के लिए परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ |
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ...हमारी संवेदनाएं !!
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ...हमारी संवेदनाएं !!
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