पड़ौस में गम हो तो खुशी छिपानी पड़ती है। स्कूल में कोई हादसा हो जाए तो बच्चों की मासूमियत पर ब्रेक लग जाता है। गाँव में शोक हो तो घरों में चूल्हे नहीं जलते। नगर में बड़ी आपदा आ जाए तो सन्नाटा दिखेगा। यह सब किसी के डर,दवाब या दिखावे के लिए नहीं होता। यह हमारे संस्कार और परम्परा है। समस्त संसार हमारा ही कुटुम्ब है, हम तो इस अवधारणा को मानने वाले हैं। इसलिए यहाँ सबके दुःख सुख सांझे हैं। परन्तु सत्ता हाथ में आते ही कुछ लोग इस अवधारणा को ठोकर मार देते हैं। अपने आप को इश्वर के समकक्ष मान कर व्यवहार करने लगते हैं।
श्रीगंगानगर,हनुमानगढ़ में आजकल बिजली और पानी के लिए त्राहि त्राहि मची हुई है। खेतों में खड़ी फसल बिन पानी के जल रही है। नगरों में बिजली के बिना कारोबार चौपट होने को है। कोई भी ऐसा वर्ग नहीं जो आज त्राहि माम,त्राहि माम ना कर रहा हो। त्राहि माम के इस विलाप को नजर अंदाज कर हमारे सांसद भरत राम मेघवाल अपने स्वागत सत्कार,सम्मान करवाने में व्यस्त हैं। एक एक दिन में गाँव से लेकर नगर तक कई सम्मान समारोह में वे फूल मालाएं पहन कर गदगद होते हैं।सम्मान पाने का अधिकार उनका हो सकता है। किंतु ऐसे वक्त में जब चारों ओर जनता हा हा कार कर रही हो, तब क्या यह सब करना और करवाना उचित है?
सांसद महोदय, प्रोपर्टी और शेयर बाज़ार ने तो पहले ही लोगों की हालत बाद से बदतर कर रखी है। अगर खेती नहीं हुई तो खेती प्रधान इस इलाके में लोगों के पास कुछ नहीं बचेगा।
8 comments:
Aapki nirantar miltee raheen,tippaniyon ke liye abhaaree hun..!
Aap jis tarah likhte hain,uske baare me kya kahun? Itnee qabiliyat nahee rakhtee..
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इन्हे पुछो ही मत
यही हाल हम लोंगों की तरफ भी है.
ये प्राणी तो होते ही ऐसे हैं किसी और की बात करिए !
सरासर ग़लत और शर्मनाक है......
साभार
प्रशान्त कुमार (काव्यांश)
हमसफ़र यादों का.......
यही फितरत है इनकी.
हमारा महान लोकतंत्र उन्हें ऐसी आज़ादी देता है !!
यही तो एक बिजनेस हैं जहां न घाटा , न अकाल, न मंदी है, इसको डाउन करने के पीछे क्यों पड़े हो नारद श्री!!!
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