Monday, June 15, 2009

पूर्व मंत्री को बिरादरी ने दुत्कारा

श्रीगंगानगर के विधायक हैं,राधेश्याम गंगानगर। इन्होने १९७७ से लेकर २००८ के विधानसभा चुनाव तक अपनी अरोड़ा बिरादरी के दम पर राजनीति की। चार बार विधायक चुने गए। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे। इनको इलाके में अरोड़ा बिरादरी के पॉप कहा जाता था। सच भी था, श्रीगंगानगर में कल से पहले अरोड़वंश का अध्यक्ष राधेश्याम के आशीर्वाद से ही बनता था। मगर कल उनको उनकी अरोड़ा बिरादरी ने ही दुत्कार दिया। अरोड़वंश समाज ने विधायक राधेश्याम गंगानगर के लड़के वीरेंद्र राजपाल को हराकर एक युवा अजय नागपाल को अपना प्रधान चुन लिया। राधेश्याम गंगानगर ने अपने राजनीतिक जीवन में छोटी बड़ी कई हार जीत का सामना किया। किंतु अपनी बिरादरी में इस प्रकार की हार से वे पहली बार दो चार हुए हैं। उनकी अब तक की राजनीति केवल और केवल अरोड़ा बिरादरी के दम पर ही रही। क्योंकि श्रीगंगानगर में इनकी बिरादरी के वोटों की संख्या सबसे अधिक है। अपनी बिरादरी के वोटों की संख्या के चलते उन्होंने गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट ना मिलने पर बीजेपी का दामन थामा और जीत हासिल की। लेकिन छः माह में बिरादरी ने उनसे किनारा कर लिया। जिस अजय नागपाल ने प्रधानगी का चुनाव जीता है,वह भी बीजेपी का है। लेकिन उसके साथ कांग्रेस के लीडर सबसे अधिक लगे हुए थे। राधेश्याम विरोधी तो उसके साथ थे ही।
राधेश्याम गंगानगर अपने घर हुई इस हार को किस प्रकार लेंगें,फिलहाल कुछ कहना मुश्किल है। सम्भव है वे बीजेपी को अलविदा कहकर अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में लौट जायें। राधेश्याम कांग्रेस को अपनी मां कहा करते थे। हो सकता है किसी दिन वे प्रेस कांफ्रेंस में यह कहते नजर आयें, सपने में मेरी कांग्रेस मां आई, कहने लगी,बेटा अब लौट आ मेरे पास। इसलिए मैं कांग्रेस में आ गया,मतलब मां के पास लौट आया। वे ये भी कह सकते हैं, माता कुमाता नहीं होती,बेटा कपूत हो सकता है। देखो, आने वाले दिनों में श्रीगंगानगर की राजनीति में नया क्या होता है। क्योंकि कोई ये सोच भी नहीं सकता था की राधेश्याम गंगानगर को अपनी बिरादरी में ही मात खानी पड़ सकती है। बिरादरी के दम पर जिसने हमेशा राजनीति की हो,उसको बिरादरी दुत्कार दे तो कुछ ना कुछ सोचना तो पड़ता ही है। जब राधेश्याम गंगानगर कुछ सोचेंगें तो तब कुछ न कुछ तो नया होगा ही। आख़िर उन्हें यहाँ की राजनीति का राज कपूर ऐसे ही तो नहीं कहा जाता। राज कपूर फिल्मो के शो मेन थे तो राधेश्याम यहाँ की राजनीति के।

8 comments:

Murari Pareek said...

राधे श्याम को तो बिरादरी ने लुटा औरों मैं कहाँ दम था!!
इनकी कश्ती डूबी वहाँ जहां पानी कम था""
"तो जहां पानी कम था (बीजेपी) वहाँ जाने की जर्रोरत क्या थी ??"

राज भाटिय़ा said...

यह बिरादरी, जात पात ओर धर्म की वजह से ही हम इन नेताओ के गुलाम बने है, अगर इस सब से अलग सिर्फ़ कब्लियत देख कर वोट डाले तो बात बने.

डॉ. मनोज मिश्र said...

यह भी सही -वह भी सही .

Dileepraaj Nagpal said...

Sir Jee, Aapne Radheshyaam Ki Tulna Rajkapoor Se Sahi Hi Ki Hai, Kyunki Ve Neta Hone K Saath-Saath Bahut Bade Abhineta Bhi Hain.

Udan Tashtari said...

मौके की नजाकत है जी.

Unknown said...

ghar me kalikh ho toh us se khud ka munh rangaa nahin karte

apne shahar ke aadmi ko yon duniya k saamne nanga nahin karte
jitna ughadna tha,main ughad chuka hoon
radheshyam ki toh main
1989 me hi bharpoor faad chuka hoon

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

albela khatri jee maine ti suna hai aap bahut bade kavi hain. magar tippani main aapke shabd kuchh or hee hakikat batate hain. aisa lagta hai koi vayktigat ranjis hai aapki radheshyam se. varna ek bahut bada kavi, jo shabdon ko tol kar likhta hai,aisa shabd nahin likh sakta.aapki tippani collapse nahin karunga taki sab padh saken ki koi bada kavi kya likhta hai.sorry--govind goyal

Unknown said...

radheyshyamji samaj ka dard samjao abhi waqt hai sambhal jao varna samaj chorad dega