Thursday, March 19, 2009

चित्त भी मेरी,पट्ट भी. सिक्का मेरे बाप का

बिहार में लालू प्रसाद यादव ने अपने कट्टर राजनीतिक 'दुश्मन" रामबिलास पासवान से एका कर लिया है। ऐसे में सारी खुदाई एक तरफ़ और जोरू का भाई एक तरफ़ हो गया। परिणाम यह हुआ कि जोरू का भाई साधू यादव नाराज हो गया। उसने कांग्रेस की ओर झाँका,कांग्रेस ने उसकी ओर। दोनों ने एक दूसरे की ओर झांक लिया , इसलिए देर सवेर इनको एकम एक हो ही जाना है। अब इस से इनमे से किसी को भी राजनीतिक रूप से नुकसान होने वाला नहीं। पासवान तो हर सरकार में एडजस्ट हो जाते है, शायद यही कारण है कि लालू ने उनको गले लगा लिया साधू यादव अलग पार्टी में हो जायेंगें। तब सरकार किसी भी पार्टी की हो हमारी ही होगी।
होना भी यही चाहिए। भगवान परिवार में कई मेंबर दे तो सब को अलग अलग पार्टी में एडजस्ट करवा देना चाहिए। सरकार अपने घर में ही रहेगी। सोनिया गाँधी-मेनका गाँधी को आदर्श के रूप में अपनाया जा सकता है। सिंधिया परिवार का उदाहरण दिया जा सकता है। चौटाला परिवार को देख आगे बढ़ सकते हो। नए लोग प्रिया दत्त-संजय दत्त से प्रेरणा ले सकते हैं। ऐसे प्रेरणादायी व्यक्तित्व पंचायत स्तर से लेकर सरकार तक होते हैं। संस्कार,विचार,जमीर,आत्मा,आस्था जैसे शब्द गरीब और कुचले हुए लोगों के लिए हैं। बड़े लोग इनको इस्तेमाल नही करते । वे तो हमेशा यही कहते हैं कि चित्त भी मेरी,पट्ट भी और सिक्का मेरे बाप का।

8 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

सिक्का मेरे बाप का।
और ...
आप का?

seema gupta said...

" ha ha ah ha raajniti hai sir ji...."

Regards

Udan Tashtari said...

यही सियासी खेल है मुनिश्रेष्ट!!

Puneet said...

haha....

aapke topic ka title bohot pasand aaya mujhe........

waise haan....jahan tak baat hai aatha,sanskar aur anye shabdo ki to mere khyal es uska gareebe ya ameere se koi sambandh hona chahiye.....

haan aap ye keh sakte hai,kyonki wo ameer hai isliye unki ye sab bate jaldi pakdi jati hai.........

iske aage main kuch nahi kehna chahunga,kyonki mere ko pata hai ki aap mere se bohot adhik gyani hai.....

!! om namo narayanay namah !!

ऊर्दू दुनिया said...

मुनिश्रेष्ट,आशीर्वाद है आपका.

Satish Chandra Satyarthi said...

राजनीति का "कलि" युग आ चुका है. जो न हो वही कम है.

महेन्द्र मिश्र said...

चित्त भी मेरी पट्ट भी मेरी अंटा मेरे बाप का ..नारायण नारायण

राज भाटिय़ा said...

नारायण नारयाण, कया पब्लिक इतनी पागल है, जो फ़िर से इन्हे वोट दे कर अपना बाप बनायेगी??