श्रीगंगानगर-जमाना
मार्केटिंग का है। किसी भी कारोबार की मार्केटिंग के बिना कल्पना भी नहीं की
जा सकती। अब तो रिश्तों की भी मार्केटिंग
होने लगी है...वो फलां अधिकारी मेरा ये लगता है.....। जब पग पग पर मार्केटिंग का बोल बाला हो
तो धर्म कैसे पीछे रहे। इसलिए होने लगी है धर्म की मार्केटिंग। इस मार्केटिंग में तो कारोबार से अधिक कंपीटीशन है। श्रीगंगानगर
भाग्यशाली है इस मामले में। यहां झांकी वाले बाला जी का मण्डल इस बात में सबसे आगे है। उनकी इस कला का आज कोई मुक़ाबला करने वाला
नहीं है। धर्म,श्रद्धा,आस्था की ऐसी मार्केटिंग की कि पूरे क्षेत्र में इनकी और इनके बाला जी की बल्ले बल्ले
हो गई। कौन है जो इस मण्डल को नहीं जानता। अपने इसी मार्केटिंग गट्स की वजह से कुछ
समय में ही इनके झांकी वाले बाला जी प्रसिद्ध हो गए और उनसे अधिक प्रसिद्धि हो गई
बाला जी खास भक्तों की। अब देख लो,यह
कला ही है इस मण्डल की कि मदिर के आगामी उत्सव के लिए शहर भर में होर्डिंग, पोस्टर,बैनर लगाए जाएंगे। नगर की कोई मुख्य सड़क शायद ही इन
पोस्टरों,होर्डिंग की झांकी से
महरूम रहे। कितनी राशि इस पर खर्च होगी इनकी परवाह भी इनको नहीं है। क्योंकि पैसा
लाना भी तो मार्केटिंग का एक हिस्सा है। धर्म की मार्केटिंग बढ़िया हो। लुभाने वाली
हो। चमक दमक से परिपूर्ण लच्छेदार हो। सीधे सीधे किसी के धर्म,आस्था,श्रद्धा,विश्वास पर असर
करती हो तो ऐसी मार्कर्टिंग वालों खर्च की फीकर करनी भी नहीं चाहिए। धन आता नहीं
धन की बरसात होती है। यही तो कला है। सामने वाला समझ ही नहीं पाता कि ये हो क्या
रहा है। बस,सिर नीचे किए गिरता
ही चला जाता धर्म की मार्केटिंग करने वालों के पैरों में। इनकी मार्केटिंग का ही
चमत्कार ही है कि इनको कहीं भी होर्डिंग लगाने से कोई मना नहीं कर सकता। चाहे वह
बिजली का खंबा हो या टेलीफोन का। कोई चौराहा हो या कोई गली। ये अपने इस अनोखे हुनर
का जलवा ना दिखाएँ तो फिर क्या फायदा। ये तो दुनिया जानती है कि जो दिखता है वह
बिकता है। धर्म की मार्केटिंग करने की कला हर किसी को नहीं सौंपते बाला जी। इनकी
झोली भरी है तो दूसरों को भी इनके पद चिन्हों पर चल यह कला सीखनी चाहिए। क्योंकि
धर्म कभी समाप्त नहीं हो सकता। शहर बढ़ रहा है कई और मंदिरों का स्कोप भी
है। क्या पता कोई टॉफी वाले बाला जी का मंदिर बनाना पड़ जाए। इस लिए पड़े रहो इनकी
शरण में और सीख लो धर्म की मार्केटिंग। बहुत काम आएगी। बहुत क्या यही काम आएगी। “कचरा” पुस्तक की लाइन हैं...भगवान बनना है तो तौर तरीके भी सीख,उसके दर से कभी कोई खाली नहीं जाता।
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