श्रीगंगानगर-सरकार
लाचार है। सरकार अवचेतन अवस्था में है। सरकार दिग्भ्रमित है। सरकार असमंजस में है।
सरकार बेकार है। ऐसी सरकार कभी नहीं देखी। और इन सबसे बढ़कर सरकार जैसी दिखने वाली
यह सरकार है भी या नहीं या जनता बेकार ही भ्रम
में जी रही है। विपक्ष खिल्ली खिल्ली उड़ाता है। कांग्रेस के मंत्री,सांसद,विधायक नाराज हैं। कार्यकर्ता माथा पीटते हैं। अफसरों में अविश्वास की
भावना है। सरकार अच्छा करने के लिए कोई आदेश जारी करती है। बुरा हो जाता है। बुरे
को सुधारने के लिए नया फरमान जारी होता है उसका पहले से भी बुरा रिजल्ट आता है। एक को मनाती है तो अनेक रूठ जाते
हैं। सभी को कोई मनाने की ताकत
किसी में नहीं है....ईश्वर में भी नहीं। सब के सब किंकर्तव्यविमूढ़ हो इधर उधर देख
रहें हैं। शायद कुछ ठीक हो जाए....कुछ ठीक करने के प्रयास में सब कुछ बिगड़ा जा रहा
है। इससे पहले ऐसा ना तो देखा ना सुना। 21 अप्रैल को सरकार ने 48 आईपीएस के तबादले
किए...इनमें 21 जिलों के एसपी थे। ये ठीक से नया कार्य शुरू भी नहीं
कर पाए थे कि 23 आईपीएस की फिर बदली कर दी। पूरे राजस्थान के बात ना भी करें तो
श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ के एसपी ने शनिवार को कार्यभार संभाला था। उस दिन अवकाश
था। चार्ज लेने के बाद सोमवार को पहला वर्किंग डे था। लेकिन ऑफिस जाने से पहले ही
उनको बदल दिया गया। ऐसा अनेक एसपी के साथ हुआ। चार्ज लेने के कुछ घंटे के बाद ही
एसपी का तबादला हो जाए तो उसकी रेपुटेशन खराब होती है। यहां तो सरकार ने कइयों को
बदल दिया। इस प्रकार का व्यवहार तो कोई छोटे से छोटे कर्मचारी के साथ नहीं करता।
आईपीएस तो बहुत बड़ी बात है। अनेक जिलों में एसपी है भी और नहीं भी। जिनके पास
चार्ज हैं वे क्या करेंगे....उनका मूड ही नहीं होगा कुछ करने को....क्या पता फिर कोई
आदेश....यही स्थिति आने वालों के साथ होगी। जल्दी आने की बजाए इंतजार करेगा....कानून व्यवस्था की
ज़िम्मेदारी सरकार की है...जब उसको ही परवाह नहीं तो अधिकारी क्यों करने
लगे। इस सरकार को तो संवेदनशील कहना संवेदनशील एसएचबीडी का अपमान ही है।चंद्रभान
की लाइन हैं....वक्त ने कितनी बदल डाली है सूरत आपकी,आईने में अपनी तस्वीरें पुरानी देखना। गंभीर बात है
इसलिए आज एसएमएस नहीं।
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