श्रीगंगानगर- आईपीएस
रूपीन्द्र सिंह कहते हैं कि श्रीगंगानगर की धरती
पर दो साल का कार्यकाल लक्की
पीरियड रहा। कारण नहीं पता। लोग मल्टी क्लर्ड हो
गए। पोलिटिकल व्यक्ति मुझ से नहीं सिस्टम से नाराज रहे। मुझे इस क्षेत्र में हरियाली,नहरें,पानी,कल्चर,लोगों का मिलने जुलने का स्वभाव बहुत पसंद आए।
बहुत काम किया...पास भी हुए फेल भी। एसपी रूपीन्द्र सिंह
से तबादले के बाद उनके निवास पर बात
चीत हुई। रूपीन्द्र सिंह ने कहा कि यहां मुझे कोई खास
परेशानी नहीं हुई। कभी हुई तो वह शॉर्ट आउट हो गई। किसका सहयोग रहा....किसने साथ दिया? रूपीन्द्र सिंह थोड़े दार्शनिक हो गए। कहने लगे...आज लोग मल्टी क्लर्ड हो गए। कहने में कुछ करने
में कुछ।मुंह पर दोस्त बनकर आएंगे। असल में दोस्ती निभाएंगे नहीं। उनसे परेशानी
हुई....मुझे क्या ऐसे लोगों से सिस्टम को परेशानी है। ये दो चेहरे वाले लोग प्रभावशाली और पहुंचवाले हैं। श्री सिंह के अनुसार उन्हे आमजन का बहुत अधिक सहयोग मिला। वे कहते
हैं आम जन के ऐसे काम हुए जिनका कोई रिकॉर्ड किसी थाना या कोर्ट में नहीं
है।ऐसे लोगों ने आकर जब काम होने
की बात कही तो सुकून मिला। धार्मिक व्यक्ति होने
के सवाल पर रूपीन्द्र सिंह ने कहा.. मेरा धर्म से नाता उतना ही है जितना एक
व्यक्ति का उसके धर्म से।मुझे समझ नहीं आ रहा मुझे धार्मिक क्यों कहा जाता है। जाति का पक्ष
करने संबंधी विवाद के बारे में रूपीन्द्र सिंह बोले कि इसका जवाब तो वहीं देंगे जिन्होने ये
विवाद पैदा किया। अपने आप को जज करना मुझे अच्छा नहीं लगता...लोग करे विश्लेषण
मेरे बारे।पोलिटिकल लोगों की नाराजगी के संबंध में उनका कहना था कि मुझसे
किसी ने नाराजगी व्यक्त नहीं की। वैसे मुझ से कोई नाराज नहीं। नाराजगी थी तो
सिस्टम से जिसका मैं हिस्सा हूं। चार कलेक्टर्स के साथ काम किया। बहुत काम करने का मौका
मिला। ऐसा कोई समय नहीं आया कि बहुत दुखी
या टेंशन में रहा। कभी कोई वक्त आया भी तो
निकल गया। फिर सब ठीक हो गया। दो साल में कानून व्यवस्था की वजह से कोई दिक्कत
नहीं आई। कोई घटना हुई तो उसका खुलासा भी हुआ।अच्छा भी हुआ तो बुरा भी किन्तु अंत में बैलेंस शीट
में रिजल्ट बढ़िया ही आया। बातचीत के समय घर की बिल्ली आस पास म्याऊँ-म्याऊँ करती रही।
रूपीन्द्र सिंह जी बिल्ली को मिठाई खिलाते हुए बोले...अपने ननिहाल में है ये... मैं पता नहीं इसका मामा
लगता हूं या नाना। एसपी
रूपीन्द्र सिंह कई दिनों से अवकाश पर हैं। उनके चनक पड़ गई। उनसे मिलने लगातार विभाग
के अधिकारी आ रहे थे। शुभकामनाओं का आदान
प्रदान हुआ और बात चीत समाप्त। चंद्रभान
की लाइन है—वक्त ने कितनी बदल
डाली है सूरत आपकी,आईने में अपनी
तस्वीर पुरानी देखना।
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