श्रीगंगानगर-बुजुर्गों
ने बताया कि महाराजा गंगा सिंह वेश बदल कर प्रजा का दुख सुख जानने के लिए रात को
निकला करते थे। कहीं कुछ गलत देखते सुनते तो उसको ठीक करते। कार्य प्रणाली में
सुधार होता। पीड़ित को न्याय मिलता। हम परम सौभाग्यशाली है। बड़भागी है। जो महाराजा गंगा सिंह की इस क्षेत्र में अंबरीष कुमार जैसे महा पुरुष हमारे जिला कलेक्टर बन कर
अवतरित हुए। गंगा सिंह जी रात को भ्रमण करते थे वेश बदल कर। अब जमाना खराब है।
पुलिस का भी कोई यकीन नहीं। रात्रि नगर भ्रमण में खतरा
हो सकता है। इसलिए कलेक्टर जी दिन में भ्रमण करते हैं। पूरे
लवाजमे के साथ। ताकि सब देख लें कि कलेक्टर साहब जी को कितनी चिंता है अपनी प्रजा
की। कुछ माह के उनके कार्यकाल में वे कई बार नगर दर्शन कर चुके हैं। पहली बार तो
हमने भी उनकी इस पहल के लिए शुक्रिया किया था। लगा था कि बहुत कुछ होगा।परंतु
घोषणाओं के अतिरिक्त कुछ नहीं हुआ। जब भी नगर भ्रमण तब कोई नई घोषणा। केवल हवाई
किले....ये कर दो....ऐसा होना चाहिए.....अफसरों के पास उनकी हां में हां मिलाने के अलावा कोई रास्ता नहीं। कलेक्टर इस व्यवस्था
में जिले का मालिक है कुछ भी कह सकते हैं...मिनी सचिवालय अबोहर रोड पर ले जा सकते
हैं....बस अड्डा सूरतगढ़ रोड पर। ओवर ब्रिज बनने ही वाला है....सीवरेज का निर्माण इस दिन शुरू हो जाएगा।
रवीन्द्र पथ
पर ट्रैफिक कम करने के लिए बसें ब्लॉक एरिया से
आएंगी...जाएंगी..... बरसाती और
गंदे पानी की निकासी के लिए पूंजीपतियों से मदद लेंगे। यह तो कुछ भी नहीं महाराज
जी ने एक अधिकारी को इसके लिए टेंडर निकालने के आदेश दे दिये। अधिकारी था ठेठ
हरियाणवी....उसने इस बारे में नोट शीट बनाकर महाराज जी के सामने रख दी।
हस्ताक्षर कौन करे? जुबां हिलाने
और नोट शीट पर स्वीकृति देने में बहुत अंतर है। सरकार भी जल्दी से मंजूरी नहीं
देती...कलेक्टर जी कैसे देते। बात वहीं के वहीं। दो दिन चले अढ़ाई
कोस.... । पता नहीं कलेक्टर जी ऐसा क्यों करते हैं। उनको कोई कुछ करने नहीं देता
या उनको नगर भ्रमण कर घोषणाएँ करने का केवल शौक ही है। कलेक्टर जी से यह सब पूछने
की हमारी तो हिम्मत नहीं...जिनकी हिम्मत है वे उनकी लल्ला लोरी करते हैं। इसलिए
होने दो नगर भ्रमण...करने दो घोषणाएँ....अपना क्या बिगड़ता है...ऐसी तैसी तो कांग्रेस की हो रही है, होने दो। बशीर फारुकी की लाइन हैं-इन्ही से
हमको जबरन मुस्करा के मिलना पड़ता है,हमारे कत्ल की साजिश में जिन के दिन गुजरते हैं।
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