श्रीगंगानगर-बहुत अधिक बरसात ने शहर की हालत ख़राब कर दी है। सत्ता पक्ष चुप है और विपक्ष के पास केवल बयान है। जनता अपने हाल पर है। कोई सामाजिक संगठन उनके लिए कुछ करे तो ठीक वरना रहो भगवान भरोसे। पहली बरसात का पानी निकलता ही नहीं कि एक और बरसात हालत बिगाड़ देती है। कोई सड़क,गली ऐसी नहीं जहाँ बरसात का पानी ना पसरा हो। पानी खड़ा हो तो ना तो गली की सफाई हो सकती है ना नालियों की। पाखानों के टैंकों का पानी नालियों में निकलता है और यही पानी अब बरसात के पानी में मिलकर बदबू आर रहा है। शायद ही कोई ऐसी सड़क बची होगी जिसपर सुरक्षित आवागमन संभव है। गन्दा पानी, खड्डे,बदबू ने लोगों को बहुत अधिक परेशानी में डाल रखा है।जनता को तो ऐसा लगता है जैसे यहाँ ना तो प्रशासन है ना कोई नेता। अफसरों की तो बात क्या करनी निर्वाचित पार्षद ही गायब से हैं। उन्हें उस चुनाव में अधिक रूचि है जो कृषि उपज मंडी समिति का प्रतिनिधि चुनेगा। उनके वार्डों के हालत क्या हैं उनसे उनको कोई मतलब ही नहीं। प्रशासन के आपदा प्रबंधन कैसे हैं ये सबके सामने आ चुका है। जिले में बरसात के कारण कई व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। जिला मुख्यालय पर कितने ही ऐसे इलाके हैं जहाँ के घरों में पानी है। अनेक क्षेत्र ऐसे है जहाँ के लोगों को अपने घरों में आना जाना मुश्किल हो चुका है। क्योंकि उनके घरों के आगे पानी पसरा हुआ है। शहर को इस हालत में केवल प्रकृति ही बचा सकती है। वह किसी के बस में नहीं है।
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