Govind Goyal, journalist
आम हो या ख़ास, आपकी बात, आपके पास
Sunday, September 4, 2011
चाह
गई
चिंता
मिटी
मनवा
बेपरवाह
जिसको
कुछ
नहीं
चाहिए
वो
ही
शहंशाह
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment