Tuesday, February 8, 2011

हे! अफसर आपको सलाम

श्रीगंगानगर-देश -विदेश के नेताओं की तरफ फैंके गए सभी जूतों को प्रणाम और मायावती की "खडाऊं" को वंदना। मुख्यमंत्री मायावती के जूते एक अफसर ने साफ़ क्या कर दिए मीडिया में हल्ला मच गया। जैसे अफसर ने राजकीय मेहमान कसाब जैसा कोई गुनाह कर दिया। उसकी मज़बूरी तो किसी को दिखाई नहीं दी। नौकरी करनी है तो ऐसा करना ही पड़ता है। सबके सामने जूते पर रुमाल या कपड़ा मार दिया तो अफसाना बन गया,क्या पता अन्दर पालिश भी करनी उसकी मज़बूरी हो। फिर अफसर ने किसी ऐरेगेरे नत्थू खेरे के जूतों के तो हाथ नहीं लगाया। अफसर का सौभाग्य है कि उसे इस युग में ऐसी महिला के जूते चमकाने का मौका मिला जो देश के दलितों की किस्मत चमकाने के लिए अवतरित हुई है। अवतार रोज रोज इस धरा पर नहीं आते। पता नहीं कितने ही सद्कर्मों के उपरांत इस अफसर को इस अलौकिक आत्मा रूपी मायावती के जूते चमकने का अवसर मिला होगा। धन्य हो गया उसका जन्म। बडभागी है उसका परिवार। भाग्यशाली हैं वे लोग जो उस अफसर को जानते हैं,उस से मिलते हैं, उसके साथ रहते हैं। मीडिया कुछ दिखाए और लिखे। हे ! अफसर आपको विचलित नहीं होना है। जब भी इस प्रकार की सेवा मिले तुरंत करना। महान आत्माओं की निष्काम सेवा, चाकरी से बढ़कर इस कलयुग में और कुछ नहीं है। ऐसी चरण चाकरी से ही तुझे इस संसार में आगे बढ़ने के ढेरों मौके मिलेंगे। अगर तू आलोचनाओं से घबरा गया, भटक गया तो कल्याण नहीं होगा। मोक्ष को तरस जायेगा। माया तो क्या किसी भिखारी के जूते भी हाथ लगाने को उपलब्ध नहीं होंगे। हे! पुलिस अधिकारी तू तो मिसाल है विनम्रता की,सेवा भावना की। पुलिस वाले तो अपने जूते साफ़ करवाने के मास्टर होते हैं। तूने एक दलित महिला के जूते साफ़ कर देश की तमाम पुलिस का सर गर्व से ऊँचा कर दिया। ये साबित कर दिया कि पुलिस कितनी कर्तव्य परायण है। हे! अफसर तूने दिखा दिया कि हम ताकतवर के जूते चमकाने में कोई जलालत महसूस नहीं करते। आज गोपी फिल्म का यह गाना सार्थक हो गया-चोर उचक्के नगर सेठ और प्रभु भगत निर्धन होंगे,जिसके हाथ में होगी लाठी भैंस वही ले जायेगा। हे!अफसर ऐसी विनम्र निष्काम सेवा को देख कर पुलिस तुझे अपना आदर्श मानेगी। हो सकता है जलोकडे किस्म के पुलिस वाले , जिनको इस सेवा के काबिल नहीं समझा गया, आपसे बैर रखे। आपके काम में बाधा डालने की की कोशिश करे। पर हे!महान पुलिस अधिकारी तुमको इनकी ओर ध्यान नहीं देना। ऐसे कलयुगी प्राणी तेरी इस अनोखी तपस्या को भंग करने का प्रयत्न कर सकते हैं। क्योंकि ये खुद तो सेवा कर नहीं सकते कोई करे तो इनके पेट में दर्द होने लगता है। ऐसे ना समझ प्राणियों के प्रति दिल में कोई भेद मत रखना। हे! अफसर अब तेरा स्थान इस सबसे से ऊपर बहुत ऊपर है। आप कोई साधारण इन्सान हो नहीं सकते। इतनी महान सेवा के लिए संसार में कोई नोबल,आस्कर होता तो वह आज आपके पास आकर गौरवान्वित हो जाता । देश की पुलिस संभव है कोई नई शुरुआत करके इतिहास में नया पन्ना जोड़े। हे ! अफसर आपके नाम, काम के बिना तो भारत का आधुनिक इतिहास पूरा ही नहीं हो सकता। उस दिन इस देश की शिक्षा में चार चाँद लग जायेंगे जब आपकी सेवा के तराने हर शिक्षण संस्था में गर्व से गए जायेंगे। मजबूर का शेर है--आदत है ज़माने कि दिल रखने की,कह दे जो साफ वो मेहरबां अच्छा।

2 comments:

shikha varshney said...

अभी अभी स्टार न्यूज़ पर यह समाचार देखा है ..हंसूं,गुस्सा करूँ या अफ़सोस करूँ समझ में नहीं आ रहा.

राज भाटिय़ा said...

लानत हे इस कमीने आफ़िसर पर...
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं.