Monday, December 24, 2012

सामाजिक बहिष्कार से बड़ी सजा कोई नहीं हो सकती-एसपी

श्रीगंगानगर-दिल्ली की घटना के बाद से पुलिस दवाब में है। इसी संदर्भ में हमने एसपी संतोष चालके से बात की। हमने उनसे पूछा,दिल्ली की घटना के बाद पुलिस पर कितना दवाब है? दवाब पर ज़ोर देते हुए एसपी बोले,दवाब शब्द उचित नहीं है। महिलाओं की गरिमा,आत्म सम्मान के बारे में पुलिस को संवेदनशील होना ही चाहिए। इसमें कोई दो राय हो ही नहीं सकती। एसपी ने बताया,न्यास व्यवस्था के चार अंग हैं। पुलिस,कोर्ट,कानून और प्रक्रिया। इन सभी में सुधार की आवश्यकता है। पुलिसकर्मियों को बढ़ाने की आवश्यकता है। पुलिस कर्मियों में संवेदनशीलता बढ़ाने की आवश्यकता है। उनकी पैट्रोलिंग बढ़ाने की जरूरत है। उसके बाद न्यायिक प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है। उन्होने जज ज्ञान सुधा के एक लेख का हवाला देते हुए कहा कि पीड़िता के बयान मजिस्ट्रेट के सामने ही हो जाने चाहिए। ताकि उसे बार बार पुलिस के सामने आने की जरूरत ही ना हो। दिल्ली गैंग रेप के संदर्भ में उन्होने कहा, कुछ लोग कहते हैं कि फांसी की सजा हो जाए। गैंग रेप जैसी घटना में फांसी की सजा करना कोई आपत्तिजनक नहीं है...करनी चाहिए। अल्टिमेटली तो कोर्ट डिसाइड करेगा...देनी है कि नहीं। एसपी ने राय दी कि इसके साथ साथ जो ऐसा अपराध कर रहा है वह फिर ऐसा करने के काबिल ही न रहे, यह सजा अधिक कारगर होगी। उन्होने टाइम्स ऑफ इंडिया के एक सर्वे के आधार पर कहा कि लॉ का डर नहीं होने के इस प्रकार की घटनाएं बढ़ रही हैं। कार की एड में लड़की की क्या आवश्यकता है। एसपी ने कहा,इसके लिए पुरुष की मानसिकता में बदलाव हो। व्यवस्था में परिवर्तन हो। बर्डन ऑफ प्रूफ आरोपी पर हो। फास्ट ट्रायल हो। यह सब करना जरूरी है। एसपी श्री चालके ने बताया कि दिल्ली में सीसीटीवी की वजह से वह बस पकड़ में आई। हर जगह पुलिस नहीं हो सकती। इसलिए सीसीटीवी कैमरे लगवाने का अभियान शहर में चला रखा है। एसपी ने कहा कि ईव टीजिंग को कानून बनाया जाना चाहिए। इट शुड बी कोग्नीजेबल ओफ़ेन्स।इट शुड बी नॉन बेलएबल ओफ़ेन्स एंड देयर शुड बी जीरो टोलरेंस पॉलिसी। ताकि कड़ी कार्यवाही हो सके। एसपी की राय में लड़की से छेड़खानी की घटना के बाद आरोपी के बचाव में कोई सफाई नहीं होनी चाहिए...कि ये नाबालिग है। लड़की ने उकसाया था,,,आदि आदि। उनके अनुसार केवल तमिलनाडु में ईव टीजिंग एक्ट है। एसपी संतोष चालके ने कहा कि जिसके साथ छेड़ खानी होती है वह विरोध करे। साथ वालों को बताए। हल्ला मचाए। साथ वाले छेड़ खानी करने वाले को पकड़े।  क्योंकि सामाजिक बहिष्कार से बड़ी कोई सजा किसी के लिए हो ही नहीं सकती। जेल में अपराधी भी बलात्कार के आरोपी को अपने से अलग रखते हैं। उससे घृणा करते हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते। पूरी मानसिकता बदलने की जरूरत है।


3 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सारी बातें काबिलेगौर हैं .... यह होना ही चाहिए ।

vandana gupta said...

बिल्कुल सही कहा

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

aapka aabhar....